लखनऊ I उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी (CM YOGI) आदित्यनाथ ने भाषा को लेकर हो रही राजनीति की आलोचना करते हुए कहा कि जिन राज्यों में नेता भाषा विवाद को बढ़ावा दे रहे हैं, वहां धीरे-धीरे गिरावट आ रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाषा विवाद से निजी राजनीतिक लाभ तो लिया जा सकता है, लेकिन यह युवाओं के रोजगार के अवसरों में बाधा बन सकता है।
CM YOGI ने समाचार एजेंसी PTI को दिए साक्षात्कार में भाषाओं पर खुलकर अपनी बात रखी। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनका इशारा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की ओर है? इस पर उन्होंने कहा, “वे जो भी हैं, वे ऐसा कर रहे हैं। उनके पास कोई अन्य मुद्दा नहीं है। वे अपने राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए भावनाओं को भड़का रहे हैं, यही कारण है कि उन राज्यों में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है। संकीर्ण राजनीति युवाओं के करियर को प्रभावित कर सकती है।”

त्रिभाषा फॉर्मूला अपनाकर भारत ने दिखाई एकता
CM YOGI ने कहा कि तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड़, बंगाली या मराठी जैसी भाषाएं राष्ट्रीय एकता की आधारशिला बन सकती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार अपने छात्रों को इन भाषाओं को सिखा रही है। CM YOGI ने कहा, “क्या इससे उत्तर प्रदेश किसी भी तरह से छोटा लगता है? सभी का मानना है कि हिंदी का सम्मान किया जाना चाहिए, लेकिन भारत ने त्रिभाषा फॉर्मूला अपनाया है। यह सुनिश्चित करता है कि क्षेत्रीय भाषाओं को भी बराबर सम्मान मिले।”
काशी तमिल संगमम बना एकता का प्रतीक
CM YOGI ने आगे कहा कि हर भाषा की अपनी विशेषता होती है, जो राष्ट्रीय एकता को मजबूत बनाती है। उन्होंने कहा, “हर क्षेत्रीय भाषा की अपनी लोक परंपराएं और कहानियां होती हैं, जो राष्ट्र की विविधता को सामने लाती हैं और उसे सशक्त बनाती हैं।” उन्होंने ‘काशी तमिल संगमम’ पहल को इस दिशा में सबसे अच्छा उदाहरण बताया, जो भारत की सबसे पुरानी भाषाओं तमिल और संस्कृत को एक साथ लाने का कार्य कर रही है।