वाराणसी: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के पत्रकारिता विभाग के शोधार्थी धीरज गुप्ता ने एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। उन्होंने अपनी PhD थीसिस को पूरी तरह से भोजपुरी भाषा में लिखकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। इस उपलब्धि के साथ, धीरज देश के पहले ऐसे शोधार्थी बन गए हैं जिन्होंने भोजपुरी में शोध कार्य पूरा किया है।
232 पन्नों में किया भोजपुरी का गहन अध्ययन
धीरज गुप्ता ने अपनी थीसिस का विषय ‘भोजपुरी पत्रकारिता का उद्भव और विकास: एक अध्ययन’ रखा। इस विषय पर काम करते हुए उन्हें छह साल से अधिक का समय लगा। 232 पन्नों की इस थीसिस में उन्होंने भोजपुरी भाषा के महत्व, पत्रकारिता में उसकी भूमिका और उसके विकास पर गहन शोध किया है। उनका उद्देश्य भोजपुरी में अश्लीलता की मानसिकता को बदलना और इस भाषा के प्रति सम्मान बढ़ाना था।
भोजपुरी भाषा को मिला नया मुकाम
भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक की प्रेरणा से धीरज ने इस चुनौती को स्वीकार किया और तमाम कठिनाइयों के बावजूद इसे सफलता से पूरा किया। यह कदम भोजपुरी भाषा के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है, क्योंकि अब तक अधिकांश शोध हिंदी या अंग्रेजी में ही होते आए हैं।
धीरज की इस उपलब्धि के बाद उनके परिवार, सहयोगियों और विश्वविद्यालय में खुशी का माहौल है। उन्हें देशभर से बधाइयां मिल रही हैं। उनके सहयोगियों का मानना है कि यह शोध भोजपुरी भाषा को नई पहचान दिलाने में मदद करेगा और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिलाएगा।