1971 India Pakistan War Decision

नई दिल्ली I अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत-पाकिस्तान युद्धविराम में मध्यस्थता का दावा सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1971 India Pakistan War Decision की फिर से व्यापक चर्चा शुरू हो गई है। यूजर्स ने इंदिरा गांधी की आयरन लेडी छवि को याद करते हुए 1971 के युद्ध में उनके स्वतंत्र और निर्णायक नेतृत्व की तुलना वर्तमान परिदृश्य से की है।
1971 के भारत-पाक युद्ध में इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाया था, जो आज 1971 India Pakistan War Decision के रूप में इतिहास में दर्ज है। ट्रम्प के कथन से जुड़ी बहस ने उन दिनों को फिर से ताजा कर दिया, जब इंदिरा ने अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्र के दबाव को भी दरकिनार कर भारत का हित सर्वोपरि रखा।

1971 India Pakistan War Decision की शुरुआत तब हुई जब पाकिस्तानी सेना ने पूर्वी पाकिस्तान में ऑपरेशन सर्चलाइट चलाया और लाखों शरणार्थी भारत आ गए। इस मानवीय संकट को देखते हुए इंदिरा गांधी ने सैन्य हस्तक्षेप का ऐतिहासिक फैसला लिया, जिसे आज भी 1971 की सबसे निर्णायक रणनीतिक पहल माना जाता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने पाकिस्तान का समर्थन किया और USS Enterprise युद्धपोत को बंगाल की खाड़ी में भेजा। इसके बावजूद इंदिरा गांधी ने 1971 India Pakistan War Decision के तहत अमेरिका की चेतावनियों को नज़रअंदाज़ कर भारत की स्वतंत्र नीति को प्राथमिकता दी।

इसी 1971 India Pakistan War Decision के तहत इंदिरा गांधी ने अगस्त 1971 में सोवियत संघ के साथ मैत्री संधि पर हस्ताक्षर किए, जिससे भारत को सामरिक सुरक्षा और वैश्विक समर्थन प्राप्त हुआ। यह समझौता भारत की रणनीति को मजबूती देने वाला एक निर्णायक मोड़ था।
इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में भी निर्णायक भूमिका निभाई। 3 दिसंबर को पाकिस्तान द्वारा भारतीय हवाई अड्डों पर हमला किए जाने के बाद भारत ने 1971 India Pakistan War Decision के तहत पूर्वी और पश्चिमी मोर्चे पर युद्ध की घोषणा कर दी। केवल 13 दिनों में पाकिस्तान की सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया।

16 दिसंबर 1971 को बांग्लादेश का निर्माण हुआ, जो 1971 India Pakistan War Decision का सबसे बड़ा भू-राजनीतिक परिणाम था। भारत ने एक नया मित्रवत पड़ोसी पाया और पाकिस्तान की सैन्य स्थिति को गंभीर रूप से कमजोर किया।
इंदिरा गांधी ने युद्ध से पहले छह पश्चिमी देशों का दौरा किया और वैश्विक समर्थन प्राप्त किया। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने 1971 India Pakistan War Decision के समर्थन में कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया, जिससे भारत की वैश्विक साख मजबूत हुई।

आज जब ट्रम्प ने दावा किया कि उनके प्रयासों से भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम हुआ है, तो सोशल मीडिया पर 1971 India Pakistan War Decision के ऐतिहासिक महत्व को दोबारा याद किया जा रहा है। यूजर्स ने कहा कि इंदिरा गांधी जैसे नेता किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं करते थे।
हालांकि, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने स्पष्ट किया कि हालिया युद्धविराम भारत और पाकिस्तान के बीच आपसी संवाद से हुआ, न कि अमेरिकी मध्यस्थता से। लेकिन 1971 India Pakistan War Decision की चर्चा ने यह स्पष्ट कर दिया कि आज भी वह निर्णय भारत की सामरिक सोच का स्तंभ बना हुआ है।