आज से 16 साल पहले, 26 नवंबर 2008 की रात, मुंबई पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। कराची से आए 10 लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने समुद्री रास्ते से मुंबई में प्रवेश कर तबाही का ऐसा खेल खेला, जिसे कोई भूल नहीं सकता।
इस हमले में 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और 300 से अधिक घायल हुए। रात करीब 10:30 बजे विले पारले इलाके में एक टैक्सी को बम से उड़ा दिया गया, जिसमें ड्राइवर और एक यात्री की मौत हो गई। इससे कुछ मिनट पहले बोरीबंदर में एक और टैक्सी धमाका हुआ, जिसमें तीन लोगों की जान गई और 15 लोग घायल हुए।
इन धमाकों के साथ ही आतंकियों ने मुंबई में दहशत फैलाना शुरू कर दिया। मुंबई के तीन प्रमुख स्थान ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट और नरीमन हाउस आतंकियों के मुख्य निशाने बने। ताज होटल में 450 और ओबेरॉय ट्राइडेंट में 380 मेहमान मौजूद थे, जिन्हें आतंकियों ने बंधक बना लिया। नरीमन हाउस में भी कई लोगों को बंधक बनाया गया, जिनमें कई विदेशी नागरिक शामिल थे।
हमले के दौरान ताज होटल से उठता धुआं बाद में इस त्रासदी की पहचान बन गया। *लियोपोल्ड कैफे और शिवाजी टर्मिनस पर हमला*दक्षिण मुंबई का मशहूर लियोपोल्ड कैफे भी आतंकियों के निशाने पर था। यहां की गोलीबारी में 10 लोगों की जान गई और कई घायल हुए।
इसी बीच, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस (CST) पर दो आतंकियों ने एके-47 राइफलों से अंधाधुंध फायरिंग की। इस हमले में 52 लोगों की मौत हुई और 100 से ज्यादा घायल हुए। हमले के दौरान टीवी चैनलों की लाइव कवरेज ने आतंकियों को सुरक्षा बलों की गतिविधियों की जानकारी दी।
इससे वे सुरक्षा बलों की रणनीति के अनुसार खुद को ढालने में सक्षम हो गए, जिससे मुठभेड़ लंबी खिंच गई। *तीन दिनों तक गूंजती रहीं गोलियां* 26 नवंबर से 29 नवंबर तक तीन दिनों तक चली मुठभेड़ में रैपिड एक्शन फोर्स (RPF), मरीन कमांडो और नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) कमांडोज ने आतंकियों का सामना किया।
29 नवंबर की सुबह तक नौ आतंकियों को मार गिराया गया, जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया।इस आतंकी हमले ने 160 से अधिक निर्दोषों की जान ले ली। 300 से ज्यादा लोग घायल हुए और करोड़ों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। भारत की सुरक्षा और खुफिया व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठे।
26/11 का यह हमला न केवल भारतीय इतिहास का काला अध्याय है, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आतंकवाद का एक भयानक उदाहरण है। आज के दिन देश उन शहीदों को याद करता है, जिन्होंने अपनी जान देकर इस त्रासदी को और बढ़ने से रोका। 26/11 हमें हर बार यह याद दिलाता है कि सुरक्षा के प्रति हमें हमेशा सतर्क रहना होगा।