नई दिल्ली। राज्यसभा में संविधान पर हुई चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी के कार्यकाल तक में हुए संविधान संशोधनों को लेकर सवाल उठाए। शाह ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, आपातकाल और परिवारवाद जैसे मुद्दों पर कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र ने समय-समय पर तानाशाही को हराया है और संविधान के 75 सालों का यह सबसे बड़ा संदेश है।
अमित शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के लिए लोहे का जिगर चाहिए था। कांग्रेस सालों तक इसे गोद में खिलाती रही। लोगों का कहना था कि 370 हटेगी तो खून की नदियां बह जाएंगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार सत्ता में आते ही इसे हटा दिया। न खून की नदियां बहीं, न किसी ने कंकड़ तक उठाया। शाह ने बताया कि आज जम्मू-कश्मीर में ₹1.19 लाख करोड़ का निवेश आ चुका है और प्रदेश विकास के मामले में आगे बढ़ रहा है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि कोई संविधान कितना भी अच्छा हो, अगर उसे चलाने वाले अच्छे न हों तो वह बुरा साबित हो सकता है। इसी तरह कोई संविधान कितना भी खराब क्यों न हो, अगर उसे सकारात्मक तरीके से चलाया जाए, तो वह अच्छा साबित हो सकता है। संविधान के 75 वर्षों में हमने दोनों घटनाएं देखी हैं।
शाह ने इमरजेंसी के दौरान किए गए 39वें संविधान संशोधन पर भी कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित किया, लेकिन उन्होंने संशोधन कर न्यायिक जांच पर रोक लगा दी। यही नहीं, इमरजेंसी के दौरान विधानसभाओं का कार्यकाल भी पांच से बढ़ाकर छह साल कर दिया गया क्योंकि उन्हें हार का डर था। ईवीएम पर विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए शाह ने कहा कि महाराष्ट्र में सूपड़ा साफ हो गया तो ईवीएम को दोष देने लगे, लेकिन झारखंड में जीत मिली तो बिना देरी के शपथ ली। एक जगह ईवीएम सही है और दूसरी जगह गलत, ऐसा कैसे हो सकता है।
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि देश में लोकतंत्र है, परिवारवाद की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अगर परिवारवाद, तुष्टिकरण और भ्रष्टाचार छोड़ दे तो जनता खुद उन्हें जिता देगी। हम एक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र हैं, जहां तुष्टिकरण की राजनीति नहीं चलनी चाहिए। अमित शाह ने कहा कि भाजपा ने 16 सालों में 22 बार संविधान संशोधन किया, जबकि कांग्रेस ने 55 सालों में 77 बार संविधान बदला। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा संविधान संशोधन का इस्तेमाल मौलिक अधिकारों को सीमित करने और अपने हितों को साधने के लिए किया।