प्रयागराज I संगम नगरी प्रयागराज के महाकुंभ में ऐसे कई संत महात्मा भी धूनी रमा रहे हैं, जिन्होंने विदेशों में लाखों रुपए कमाए, लेकिन अब सनातन धर्म की आस्था में अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी है। इनमें से एक हैं जूना अखाड़े के महंत जवान गिरि।
महंत जवान गिरि इटली के रहने वाले हैं और पेशे से डॉक्टर थे। इटली के बड़े अस्पताल में बतौर सर्जन काम करते थे, लेकिन सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था ने उन्हें एक नई राह पर ला खड़ा किया। 2018 में जब वह राजस्थान के पुष्कर मेले में आए थे, तो जूना अखाड़े के संतों से मुलाकात हुई, जो उनकी जिंदगी का turning point साबित हुआ। उन्होंने सनातन परंपरा को करीब से जानने के बाद 2019 के कुंभ में सन्यास की दीक्षा ली।
जूना अखाड़े ने महंत जवान गिरि को इटली में सनातन धर्म के प्रचार की जिम्मेदारी दी। अब वह छह महीने भारत में रहते हैं और छह महीने इटली में। डॉक्टरी के पेशे को छोड़कर उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से सनातन को समर्पित कर दिया है।
महंत जवान गिरि का कहना है कि डॉक्टरी में पैसे और ऐश-ओ-आराम की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उन्हें जीवन में सुकून नहीं मिल रहा था। वह इस सुकून को तलाशने भारत आए थे, और आज वह सन्यासी बनकर बेहद खुश हैं। वह महाकुंभ के दौरान अपने गुरु के साथ यात्रा कर रहे हैं और बसंत पंचमी के बाद राजस्थान वापस लौटेंगे। उनका कहना है कि इस महाकुंभ में उन्हें गुरु ने नई जिम्मेदारी दी है, जिसे वह पूरी निष्ठा से निभाएंगे।