Global Firepower Ranking 2025 : ग्लोबल फायरपावर ने 2025 की अपनी नई रैंकिंग जारी की है, जिसमें अमेरिका ने 0.744 के पावर इंडेक्स के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया है। उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी, प्रचुर वित्तीय संसाधन और वैश्विक प्रभाव के कारण अमेरिका को यह स्थान मिला है। रूस और चीन क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे, जिनका पावर इंडेक्स 0.788 है। इन दोनों देशों की मजबूत सैन्य क्षमताएं और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उनकी प्रमुख भूमिका इस रैंकिंग को मजबूत करती है।
Global Firepower Ranking 2025 : रैंकिंग का निर्धारण कैसे होता है?
ग्लोबल फायरपावर रैंकिंग 60 से अधिक मानकों पर आधारित होती है। इनमें सैन्य बल की संख्या, आर्थिक सामर्थ्य, रसद क्षमताएं और भौगोलिक स्थिति जैसे कारक शामिल हैं। पावर इंडेक्स का स्कोर जितना कम होता है, देश की सैन्य शक्ति उतनी अधिक मानी जाती है। इस साल अमेरिका का स्कोर सबसे कम रहा, जबकि भूटान 6.3934 के स्कोर के साथ अंतिम स्थान पर रहा।
भारत का प्रदर्शन: एशिया में चौथा और दुनिया में चौथा स्थान
भारत ने 0.1184 के पावर इंडेक्स के साथ चौथे स्थान पर अपनी स्थिति बनाए रखी है। यह भारत की उन्नत होती सैन्य ताकत, आधुनिक हथियार प्रणाली और रणनीतिक स्थिति को दर्शाता है। रक्षा बजट में वृद्धि और सुधार के चलते भारत टॉप-5 देशों में अपनी जगह बनाए रखने में सफल रहा। एशियाई देशों में चीन, दक्षिण कोरिया और जापान भी शीर्ष-10 में शामिल हैं। पाकिस्तान, जो पिछले वर्ष शीर्ष-10 में था, इस बार 12वें स्थान पर खिसक गया है।
दक्षिण कोरिया और अन्य देशों की स्थिति
दक्षिण कोरिया ने 0.1656 के पावर इंडेक्स के साथ पांचवां स्थान कायम रखा है। ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, तुर्की और इटली छठे से दसवें स्थान पर बने हुए हैं। वहीं, पाकिस्तान की रैंकिंग में तीन स्थान की गिरावट आई है, जो क्षेत्रीय सैन्य शक्ति संतुलन में बदलाव को दर्शाता है।
अफ्रीका और यूरोप में प्रमुख देश
अफ्रीकी महाद्वीप में मिस्र और नाइजीरिया ने अपनी सैन्य ताकत को बरकरार रखते हुए शीर्ष स्थान हासिल किए हैं। यूरोप में ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों ने अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखी है। पश्चिम एशिया में इजरायल और ईरान क्रमशः 15वें और 16वें स्थान पर हैं, जो उनकी प्रभावशाली सैन्य क्षमताओं को दर्शाते हैं।

वैश्विक संतुलन और भविष्य के संकेत
ग्लोबल फायरपावर रैंकिंग 2025 विश्व सैन्य शक्ति संतुलन का प्रतिबिंब है। यह रैंकिंग न केवल देशों की वर्तमान रक्षा क्षमताओं को दिखाती है, बल्कि आने वाले वर्षों में सैन्य और राजनीतिक नीतियों में संभावित बदलावों की ओर भी संकेत करती है।