महाकुंभ में IITian बाबा के बाद छाए आचार्य जयशंकर, BHU के पूर्व छात्र का अनोखा सफर

प्रयागराज I महाकुंभ 2025 के आयोजन में इस बार IIT BHU के पूर्व छात्र आचार्य जयशंकर नारायण चर्चा का विषय बने हुए हैं। 33 साल पहले BHU से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक कर चुके आचार्य जयशंकर पिछले 30 वर्षों से वेदांत दर्शन का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। धर्म और आध्यात्म पर उनके विचारों ने महाकुंभ में उपस्थित श्रद्धालुओं और आयोजकों का ध्यान आकर्षित किया है।

महाकुंभ में IITian बाबा के बाद छाए आचार्य जयशंकर, BHU के पूर्व छात्र का अनोखा सफर महाकुंभ में IITian बाबा के बाद छाए आचार्य जयशंकर, BHU के पूर्व छात्र का अनोखा सफर

आचार्य जयशंकर का जीवन परिचय
चेन्नई के मूल निवासी आचार्य जयशंकर नारायण ने 1992 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। पढ़ाई के बाद उन्होंने टाटा स्टील में इंजीनियर के रूप में डेढ़ साल तक नौकरी की। इसके बाद उनका सफर अमेरिका के न्यू जर्सी तक पहुंचा, लेकिन 1999 में उन्होंने कॉर्पोरेट जीवन को अलविदा कहकर स्वामी दयानंद सरस्वती के सानिध्य में वेदांत दर्शन का अध्ययन किया। यहीं से उनकी आध्यात्मिक यात्रा शुरू हुई।

आचार्य जयशंकर वर्तमान में आर्ष विद्या संप्रदाय से जुड़े हुए हैं और वेदांत दर्शन के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। इस संप्रदाय का उद्देश्य वैदिक और आध्यात्मिक परंपराओं का प्रचार करना है।

महाकुंभ में व्यवस्थाओं पर राय
आचार्य जयशंकर ने महाकुंभ 2025 की व्यवस्थाओं की सराहना की। उन्होंने कहा कि सफाई और शौचालय की व्यवस्था पहले से बेहतर है, लेकिन उन्होंने दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के लिए व्हीलचेयर जैसी सुविधाओं की कमी को उजागर किया। उन्होंने कहा कि शाही स्नान के दिन श्रद्धालुओं को 7-10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा, जिससे बुजुर्गों और विशेष आवश्यकता वाले लोगों को दिक्कत हुई।

उन्होंने सुझाव दिया कि महाकुंभ जैसे आयोजनों में सभी वर्गों के लोगों की सुविधा का ध्यान रखा जाना चाहिए। वहीं, मेले में क्लीनिक और फार्मेसी की पर्याप्त व्यवस्था और साफ-सुथरी सड़कों की उन्होंने प्रशंसा की।

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एलुमनाई मीट और पुरानी यादें
महाकुंभ के दौरान आचार्य ने अपने 1992 बैच के आईआईटी बीएचयू के दोस्तों के साथ एलुमनाई मीट में भाग लिया। दोस्तों से मिलकर उन्होंने पुरानी यादों को ताजा किया और अपने इंजीनियरिंग से लेकर आध्यात्मिक यात्रा तक के अनुभव साझा किए।

धर्म पर आचार्य के विचार
आचार्य जयशंकर का मानना है कि धर्म मनुष्य के जीवन का पहला पुरुषार्थ है। उन्होंने कहा, “धर्म के बिना मोक्ष की कल्पना नहीं की जा सकती। धर्म ही वह आधार है जो जीवन को सही दिशा और उद्देश्य प्रदान करता है।”

महाकुंभ पाठशाला: बच्चों को दी जाएगी आध्यात्मिक विरासत की जानकारी
महाकुंभ के महत्व को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए परिषदीय विद्यालयों में “महाकुंभ पाठशाला” की शुरुआत की गई है। इस कार्यक्रम के तहत अगले तीन सप्ताह तक बच्चों को 10-15 मिनट की क्लास में आध्यात्मिक विरासत की जानकारी दी जाएगी। इसके लिए 10 पन्नों की एक पुस्तिका और 150 प्रश्नों की सूची तैयार की गई है।

आचार्य का संदेश
महाकुंभ में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए आचार्य जयशंकर ने कहा कि धर्म और आध्यात्मिकता का प्रसार केवल कर्मकांड तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे जीवन के हर पहलू में उतारना चाहिए। उन्होंने महाकुंभ जैसे आयोजनों को भारतीय संस्कृति और विरासत को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करने का एक अद्भुत अवसर बताया।

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