मिथिलेश कुमार पाण्डेय
बुद्धि व विवेक मानव को अन्य सजीवों से अलग करता है I मनुष्य के अंदर प्यार, नफ़रत, क्रोद्ध, आश्चर्य, करुणा, दया, आसक्ति, विरक्ति, अध्यात्म, भक्ति, ज्ञान, शिक्षा, सम्मान आदि के भाव हमेशा विद्यमान रहते हैं और समय काल, परिस्थिति के अनुसार प्रस्फुटित होते रहते हैं I उपरोक्त गुणों पर मानव जाति का एकाधिकार है और इन भावनायों के वशीभूत मनुष्य परिस्थितिजन्य निर्णय लेता है I
मानव और अन्य सजीवों द्वारा किये जानेवाले भौतिक कार्य तो काफी पहले से ही मशीनों के द्वारा किये जाने लगे हैं जिन्हें हम मशीनीकरण और औद्योगिक क्रांति के नाम से जानते हैं तथा इनके लाभ हानि से पूर्ण परिचित हो चुके हैं I अब कंप्यूटर को इस तरह से विकसित किया जा रहा है कि उनमें सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता हो I कंप्यूटर में जो तर्कसंगत निर्णय लेने की क्षमता होगी वह मानव निर्मित होगी और इसे ही कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहा जाता है I सरल शब्दों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता को हम एक ऐसे विज्ञानं और अभियांत्रिकी कह सकते हैं जिसके माध्यम से मशीनो को सिखने, समस्याओं का समाधान करने, निर्णय लेने और मानव जैसे अन्य व्यवहार करने के लायक बनाया जा सकता है I
अर्थव्यवस्था एक काफी व्यापक परिकल्पना है जिसमें मनुष्य की समस्त आवश्यकताएं उनकी आपूर्ति, कीमत, उत्पादन, वितरण, सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्त, पर्यावरण, निरन्तरता, भविष्य आदि समाहित हैं I दुनिया/ देश में कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र में उत्पादन, विपणन, वितरण के माध्यम से विकासोन्मुख प्रयासों के परिणामों का समुच्चय अर्थव्यवस्था कहलाता है I
AI तीन प्रकार के होते हैं :
1. संकुचित या कमजोर AI
2.सामान्य या मजबूत AI
3.सुपर AI
संकुचित या कमजोर AI का सबसे प्रारंभिक प्रकार है जो कि किसी एक विशिष्ट काम के लिए बनाया जाता है I जैसे चालक विहीन कार/ ट्रक का संचालन, चेहरे की पहचान, चैत्बट्स, स्पैम फ़िल्टर, खतों का रख रखाव, रोग निदान, डोमेस्टिक हेल्प आदि का काम सफलतापूर्वक कर सकते हैं परन्तु मानव की तरह व्यापक समझ प्रदर्शित नहीं कर सकते है I सामान्य या मजबूत AI मानव बुद्धि के समान व्यापक समझ प्रदर्शित कर सकता है, सिख सकता है, तर्क कर सकता है, योजना बना सकता है और कोई भी बौधिक कार्य मानव की तरह कर सकता है I
वर्तमान में केवल संकुचित AI ही प्रचालन में है I मजबूत AI अभी काल्पनिक है और इस पर अभी कोई कार्य नहो हो रहा है I सुपर AI जो मानव विवेक से भी अधिक बुद्धिमान माना जा रहा है जिसकी असीमित संभावनाएं मानी जा रही है और साथ साथ चिंताजनक भी, वह भी अभी कल्पना के स्तर पर ही है जिसपर काम करने से पहले काफी तैयारी करनी होगी I
AI का प्रयोग काफी व्यापक है जो निरंतर सम्पादित होनेवाले कार्य को त्रुटिहीन ढंग से पूर्ण दक्षता के साथ काफी कम समय में पूरा कर सकता है I यह चिकित्सा के क्षेत्र में रोग निदान, दवा की खोज, सर्जिकल रोबोटिक्स, रोग की भविष्यवाणी आदि में क्रन्तिकारी काम करके मानव सेवा को आसान और प्रभावी बना सकता है I चालक विहीन और सुरक्षित परिवहन की परिकल्पना को वास्तविकता के धरातल पर उतारने में सफल हो सकता है I वित्तीय क्षेत्र में धोखाधड़ी निवारण, क्रेडिट रेटिंग, ग्राहक सेवा, खाता बही का रख रखाव आदि कार्य को आसान बनाकर बैंकों और बीमा कंपनियों को व्यापार वृद्धि में आगे बढ़ने में मदद कर सकता है I व्यक्तियों को सुरक्षित निवेश के रास्ते बता सकता है जोकि निवेशक के सर्वोत्तम हित में हो I कृषि, मनोरंजन, मीडिया समेत समाज के सभी क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ सकता है जिससे मानव जीवन आसन हो सके I
AI के प्रयोग से समय और लागत की बचत होगी, मानवीय भूलों में कमी आएगी, स्वचालित परिवहन, सुरक्षा और निगरानी सुगम होगी I इन लाभों के साथ साथ निश्चित रूप से कुछ तात्कालिक और कुछ दीर्घकालिक नुकसान भी अवश्यम्भावी है I रोजगार में तात्कालिक हानि की संभावना को इनकार नहीं कर सकते हैं I इसके अलावा कुछ नैतिक और सामाजिक समस्याएं भी प्रगट होंगी, डाटा की सुरक्षा और गोपनीयता पर निश्चित ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा I ऐसा माना जा रहा है कि AI से कंपनियों तथा कुछ चन्द प्रशिक्षित युवाओं की आमदनी बढ़ेगी और ज्यदातर लोग बेरोजगार हो जायेंगे I इससे समाज में आर्थिक विसमता पैदा होगी जो सामाजिक स्थिरता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है I
AI का प्रभाव दुनिया में चाहे जो भी हो भारत की अर्थव्यवस्था के लिए इसके फायदे ज्यादा है नुकसान कम I ऐसा मैं इसलिए कह पा रहा हूँ क्योंकि भारत की जनसांख्यिकी और इसकी क्षमता अभी विश्व के सभी देशों की तुलना मे लाभदायक स्थिति में है I इसी को ध्यान में रखकर माइक्रोसॉफ्ट के मुखिया सत्य नाडेला ने घोषणा की है कि आगामी 2 वर्षों में वे भारत में Cloud और AI की क्षमता विकसित करने के लिए 300 करोड़ डॉलर का निवेश करेंगे I इसी क्रम में 1 करोड़ से ज्यादा युवाओं को प्रशिक्षित करके एक मजबूत कार्य बल तैयार करेंगे I
पश्चिमी देशों में जहाँ आबादी घट रही है वहां STEM ( Science, Technology, Engineering, Maths ) ग्रेजुएट्स कम हैं जबकि भारत में इंग्लिश बोलने वाले STEM ग्रेजुएट्स की संख्या पूरी दुनिया की तुलना में सबसे ज्यादा है I अभी तक दुनिया की बड़ी कंपनिया छोटे स्तर के काम भारत में करती थी और उच्चस्तरीय काम पश्चिम के देशो में होते थे I परन्तु अब स्थिति बदल रही है और विश्व की बड़ी कंपनियां भी यहाँ के STEM Graduates की कार्य शक्ति का लाभ उठाने के लिए अपने सभी कामो के लिए अपने GCCs ( Global Capacity Centre ) भारत में खोल रही हैं I इस तरह भारत में लाखो नयी नौकरियां AI और सम्बंधित क्षेत्रों में उत्पन्न होंगी I
कुछ निराशावादी लोग इस चिंता में डूबे जा रहे हैं कि AI के प्रयोग से बड़े स्तर पर बेरोजगारी हो जायगी जिसका प्रभाव हर स्तर के नौकरियों पर पड़ेगा I इस तरह की चर्चा हर क्रन्तिकारी औद्योगिक परिवर्तन के समय होती रही है और यह देखा गया है कि बड़े परिवर्तन के परिणामस्वरूप रोजगार का स्वरुप और क्षेत्र बदला है I हाँ यह सच है कि परिवर्तन के समय कुछ न कुछ लोगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो कि स्वाभाविक है परन्तु परिवर्तन से प्राप्त आर्थिक और सामाजिक लाभांशों से देश और समाज लाभान्वित हुआ है I
इतिहास बताता है कि जब इंग्लैंड में वस्त्र निर्माण में जब मशीन का प्रयोग शुरू किया गया था तब परिवर्तन विरोधियों से कारखाने को बरबाद कर दिया था लेकिन जब उत्पादन बढ़ने और उच्च गुणवत्ता युक्त सामान उपलब्द्ध होने से श्रमिकों की आमदनी बढ़ी और समाज में आर्थिक खुशहाली आयी I इसी तरह यातायात के मशीनीकरण के तात्कालिक दुष्प्रभाव पड़े होंगे परन्तु परंपरागत यातायात व्यवस्था के सहारे आज की दुनिया संभव नहीं होती I जब जब रोजगार पर आपदा की भविष्यवाणी की गयी तब तब परिवर्तन से श्रमिक सम्पन्नता में वृद्धि हुई है I
मशीनीकरण से उत्पाद और सेवाओं की गुणवत्ता सुधरी है और दाम भी घटे हैं जिससे लोगों के पास तरलता बढ़ी है I इसके परिणामस्वरूप अन्य क्षेत्र में खर्च किया गया और व्यापार के नए अवसर पैदा हुए और अर्थव्यवस्था में मजबूती मिली I AI के संक्रमण काल में आर्थिक और सामाजिक विसमता की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है I AI से लाभ प्राप्त करने वालों पर अतिरिक्त कर लगा कर प्रभावित लोगों को भत्ता के साथ प्रशिक्षण देकर उन्हें नए अवसर के लिए तैयार करना होगा ताकि वे रोजगार प्राप्त कर सके I
सरकार और निजी कंपनियों को प्रशिक्षण और श्रमिक पुनर्वास के लिए भरपूर निवेश करना होगा ताकि AI के संभावित व्यापक दुस्प्रभाव से बचा जा सके I अर्थव्यवस्था केवल अर्थ सृजन ही नहीं बल्कि इसका समुचित वितरण भी है I कुछ चुनिन्दा लोगों के पास केन्द्रित धन सामाजिक ताने बाने को कमजोर कर सकती है I इससे बचने के लिए समाज के बड़े हिस्से के लिए रोजगार के अवसर बनाने होंगे और जनमानस में व्याप्त अनिश्चयता को खत्म करके आगे कदम बढ़ाना श्रेयस्कर होगा I परिवर्तन श्रृष्टि का अनिवार्य अंग है जो हुआ है और होता रहेगा I
(लेखक पूर्व सहायक महाप्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं आर्थिक विश्लेषक हैं)