नई दिल्ली I आज भारत 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। यह दिन हर भारतीय के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक है। 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ, जिसने देश को लोकतांत्रिक गणराज्य का दर्जा दिया। तब से अब तक, भारतीय संविधान न केवल एक मार्गदर्शक दस्तावेज बना हुआ है, बल्कि समय के साथ इसमें कई अहम बदलाव भी हुए हैं।
संविधान की स्थिरता का वैश्विक महत्व
भारत का संविधान 75 वर्षों से कुछ संशोधनों के साथ अपनी स्थिरता बनाए हुए है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की एक स्टडी के अनुसार, दुनिया में लागू संविधानों की औसत आयु 17 वर्ष है। भारत का संविधान, अमेरिका के बाद, दुनिया का दूसरा सबसे पुराना और प्रभावी संविधान माना जाता है।
दक्षिण एशियाई देशों की तुलना में भारत का संविधान काफी स्थिर है। श्रीलंका में तीन बार, पाकिस्तान में छह बार और नेपाल में पांच बार संविधान बदला गया है। इसके विपरीत, भारतीय संविधान में केवल जरूरी बदलाव किए गए हैं, जिससे इसकी प्रासंगिकता और स्थिरता बनी रही है।
संविधान के प्रारंभिक स्वरूप की विशेषताएं
1950 में लागू हुए मूल संविधान में 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। इसमें मौलिक अधिकार और निदेशक सिद्धांत शामिल थे, जो इसे एक अनूठा और प्रगतिशील दस्तावेज बनाते हैं। इसके निर्माण में अमेरिका, कनाडा, आयरलैंड और जापान के संविधानों से प्रेरणा ली गई।
75 वर्षों में हुए 106 संशोधन
संविधान लागू होने के बाद से अब तक 106 संशोधन किए जा चुके हैं। पहला संशोधन 18 जून 1951 को हुआ, जबकि सबसे हालिया संशोधन 28 सितंबर 2023 को किया गया। यह संशोधन महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभाओं में एक-तिहाई आरक्षण का प्रावधान करता है।

कुछ प्रमुख संवैधानिक संशोधन और उनके प्रभाव
- चौथा संशोधन (1955):
- निजी संपत्ति की तलाशी और जब्ती के लिए वारंट अनिवार्य।
- राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के हित में खनिज और तेल संसाधनों पर सरकारी नियंत्रण।
2.नौवां संशोधन (1960):
- भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौते के तहत सीमा का पुनर्निर्धारण।
3. 25वां संशोधन (1971):
- निजी संपत्ति के अधिकार और मुआवजे पर कुछ पाबंदियां।
4. 44वां संशोधन (1979):
- आपातकाल के बाद मानवाधिकारों की सुरक्षा और कार्यपालिका के दुरुपयोग को रोकने के लिए प्रावधान।
5. 61वां संशोधन (1989):
- मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की गई।
6. 103वां संशोधन (2019):

- आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को 10% आरक्षण का प्रावधान।
7. 106वां संशोधन (2023):
- लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटों का आरक्षण।
भारतीय संविधान की महत्ता
भारतीय संविधान न केवल एक कानूनी दस्तावेज है, बल्कि यह देश की विविधता, एकता और प्रगति का प्रतीक है। बाबासाहेब आंबेडकर के नेतृत्व में बनाए गए इस संविधान ने भारत को एक लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य के रूप में स्थापित किया।
आज 76वें गणतंत्र दिवस के मौके पर, हम इस महान संविधान की उपलब्धियों को याद करते हैं और इसे भविष्य में भी प्रासंगिक बनाए रखने का संकल्प लेते हैं।