वाराणसी I वाराणसी में मानव तस्करी का मामला एक बार फिर चर्चा में है। साल 2023 में फुटपाथ पर सो रहे गरीब बच्चों को तस्करों द्वारा अगवा करने की खबर सामने आई थी। वाराणसी पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए राजस्थान से गैंग को पकड़ा और दो बच्चों को रिकवर किया। लेकिन तीसरी बच्ची मोहिनी का आज तक कोई पता नहीं चल पाया है।
मोहिनी के पिता शमशेर ने बेटी की तलाश के लिए हर संभव कोशिश की, लेकिन अब तक पुलिस के हाथ खाली हैं। इस मामले में सेक्स ट्रैफिकिंग और चाइल्ड प्रॉस्टिट्यूशन पर काम करने वाली संस्था “गुड़िया” ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी पुलिस को 2024 में पकड़े गए उन तस्करों को दोबारा पेश करने के निर्देश दिए हैं, जो बाद में हाईकोर्ट से रिहा हो गए थे।
गुड़िया संस्था का संघर्ष
गुड़िया संस्था के अधिवक्ता गोपाल कृष्ण ने बताया कि यह गैंग वाराणसी और आस-पास के इलाकों से बच्चों का अपहरण कर उन्हें बेचता था। पूछताछ में अपराधियों ने स्वीकार किया था कि मोहिनी को 3 लाख रुपये में राजस्थान में बेचा गया। संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर इन तस्करों की बेल रद्द कराई, लेकिन पुलिस ने अब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने तस्करों की गिरफ्तारी के लिए एनबीडब्ल्यू जारी करने और उन्हें कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सभी राज्यों से गायब बच्चों का डेटा भी मांगा है।
गुड़िया संस्था का योगदान
35 सालों से काम कर रही गुड़िया संस्था ने अब तक हजारों बच्चों को तस्करी और प्रॉस्टिट्यूशन से बचाया है। संस्था के संस्थापक अजीत सिंह ने बताया कि उन्होंने रेड लाइट इलाकों से बच्चियों को बचाने और उनके पुनर्वास के लिए महत्वपूर्ण काम किया है। शमशेर अब भी अपनी बेटी मोहिनी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद उनकी बेटी को इंसाफ मिलेगा।