वाराणसी। जिले में बच्चों को कुपोषण से बचाने और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए ‘विटामिन ए सम्पूरण’ अभियान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह अभियान 4 दिसंबर 2024 से 11 जनवरी 2025 तक चला, जिसके तहत 3.54 लाख से अधिक बच्चों को विटामिन ए की खुराक दी गई। इस कार्यक्रम का लक्ष्य 9 माह से 5 वर्ष तक के 3.88 लाख बच्चों तक पहुंचना था।
अभियान के दौरान हुआ स्वास्थ्य जागरूकता पर जोर
अभियान के तहत ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी व यूएचएसएनडी) सत्रों के माध्यम से बच्चों को विटामिन ए की खुराक दी गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि यह खुराक हर 6 महीने में एक बार लक्षित बच्चों को पिलाई जाती है।

इस दौरान सिर्फ विटामिन ए की खुराक ही नहीं, बल्कि पूर्ण टीकाकरण, वजन मापन, अति कुपोषित बच्चों की पहचान, आयोडीन युक्त नमक के सेवन और स्तनपान जागरूकता जैसे विषयों पर भी ध्यान दिया गया। इसके अलावा, 7 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों को आयरन सीरप भी दिया गया* ताकि एनीमिया की समस्या को कम किया जा सके।
कैसे दी गई विटामिन ए की खुराक?
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एके मौर्या ने बताया कि—
- पहली खुराक: 9 से 12 माह के बीच एमआर 1 टीके* के साथ दी गई।
- *दूसरी खुराक: 16 से 24 माह के बीच एमआर 2 टीके के साथ दी गई।
- तीसरी से नौवीं खुराक: हर 6-6 महीने के अंतराल पर दी गई।
बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार खुराक दी गई—
- 9 माह से 1 वर्ष तक के बच्चों को आधा चम्मच (1 एमएल)।
- 1 से 5 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरा चम्मच (2 एमएल)।
विटामिन ए: बच्चों के लिए क्यों जरूरी?
डॉ. मौर्या के अनुसार, विटामिन ए की कमी से बच्चों में आंखों की समस्याएं, रात्रि अंधता, त्वचा संबंधी रोग, निमोनिया और डायरिया का खतरा बढ़ जाता है।यह हड्डियों के विकास और शरीर की झिल्ली (म्युकोसा) को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है।
बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता
इस अभियान का उद्देश्य बच्चों को सुपोषित और स्वस्थ बनाना है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो और वे कुपोषण से बच सकें। स्वास्थ्य विभाग ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया और हर पात्र बच्चे तक विटामिन ए की खुराक पहुंचाने का प्रयास किया।
सरकार और स्वास्थ्य विभाग की यह पहल वाराणसी के बच्चों को कुपोषण से बचाने और स्वस्थ भविष्य देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।