नई दिल्ली I केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 पेश करते हुए इनकम टैक्स को लेकर बड़ा ऐलान किया है। इस नए फैसले के तहत अब सालाना 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। सरकार ने नए टैक्स स्लैब लागू करते हुए मध्यम वर्ग को राहत देने का प्रयास किया है। हालांकि, 12.75 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों को टैक्स देना होगा, लेकिन नई दरों के कारण टैक्स में कमी आई है।
क्या है नया टैक्स स्लैब?
वित्त मंत्री ने बताया कि नए टैक्स रिजीम के तहत विभिन्न आय वर्गों के लिए अलग-अलग टैक्स दरें तय की गई हैं:
- 12.75 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं
- 12 से 16 लाख रुपये तक की आय पर 15% टैक्स
- 16 से 20 लाख रुपये तक की आय पर 20% टैक्स
- 20 से 24 लाख रुपये तक की आय पर 25% टैक्स
- 24 लाख से अधिक आय पर 30% टैक्स
इससे पहले, 15 लाख रुपये तक की आय वालों को अधिक टैक्स चुकाना पड़ता था, लेकिन नई व्यवस्था में उन्हें राहत दी गई है।
क्या 15 लाख रुपये कमाने वालों को सिर्फ 3 लाख पर टैक्स देना होगा?
कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या 15 लाख रुपये की आय पर सिर्फ 3 लाख रुपये ही टैक्सेबल होंगे? इसका जवाब ‘नहीं’ है। पूरी 15 लाख रुपये की आय पर 15% टैक्स लगाया जाएगा। यानी कि कुल 97,500 रुपये टैक्स देना होगा। पहले इस आय वर्ग पर 1.30 लाख रुपये टैक्स देना पड़ता था, जिससे अब 32,500 रुपये की सीधी बचत होगी।
किसे कितना फायदा होगा?
नई टैक्स व्यवस्था के तहत अलग-अलग आय वर्गों को टैक्स में छूट का लाभ मिलेगा:
- 15 लाख रुपये कमाने वालों को पहले 1.30 लाख रुपये टैक्स देना पड़ता था, अब सिर्फ 97,500 रुपये देना होगा। यानी 32,500 रुपये की बचत।
- 17 लाख रुपये कमाने वालों को पहले 1.84 लाख रुपये देना होता था, अब उन्हें सिर्फ 1.30 लाख रुपये टैक्स देना होगा। यानी 54,600 रुपये की बचत।
- 22 लाख रुपये कमाने वालों को पहले 3.40 लाख रुपये टैक्स देना पड़ता था, अब सिर्फ 2.40 लाख रुपये देना होगा। यानी 1 लाख रुपये की सीधी बचत।
- 25 लाख रुपये कमाने वालों को पहले 4.34 लाख रुपये टैक्स देना पड़ता था, अब सिर्फ 3.19 लाख रुपये देना होगा। यानी 1.17 लाख रुपये की बचत।
क्यों अहम है यह फैसला?
इस फैसले से मध्यम वर्ग और उच्च-मध्यम वर्ग को सीधा फायदा होगा। कम आय वालों को टैक्स से पूरी तरह राहत मिल गई है, जबकि ज्यादा आय वालों को भी टैक्स में कटौती का लाभ मिलेगा। सरकार के इस कदम से टैक्स पेयर्स को बचत का अवसर मिलेगा और अर्थव्यवस्था में भी सुधार देखने को मिल सकता है। हालांकि, 12.75 लाख से अधिक कमाने वालों को टैक्स देना होगा, लेकिन कम दरों के कारण उनकी जेब पर पहले से कम बोझ पड़ेगा।