नई दिल्ली। अवैध रूप से भारत में घुसने और रहने के आरोप में गिरफ्तार किए गए बांग्लादेशी नागरिकों की वापसी में हो रही देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि विदेशी नागरिकों को उनकी सजा पूरी होने के बाद भी डिटेंशन सेंटर में क्यों रखा जा रहा है।
जस्टिस जे बी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि पश्चिम बंगाल के डिटेंशन सेंटर्स में ऐसे 850 लोग मौजूद हैं। बेंच ने सवाल उठाया कि फॉरेनर्स एक्ट, 1946 के तहत दोषी ठहराए गए इन घुसपैठियों को भारत सरकार के 2009 के सर्कुलर के बावजूद 30 दिनों के भीतर वापस क्यों नहीं भेजा जा रहा।
यह मामला 2011 में कलकत्ता हाई कोर्ट में दाखिल हुआ था, जहां न्यायविद माजा दारूवाला की चिट्ठी के आधार पर अनिश्चितकाल तक डिटेंशन सेंटर में रह रहे विदेशी नागरिकों की स्थिति पर सवाल उठाए गए थे। 2013 में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था, जहां अब इसकी सुनवाई तेज हो गई है। अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी।