वाराणसी। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र, शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित मल्टीडिसिप्लीनरी रिफ्रेशर कोर्स के नौवें दिन गुरुवार को प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली और शिक्षकों के गुणों पर विशेषज्ञों ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
प्रथम सत्र में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक, मध्यप्रदेश के शिक्षाशास्त्र विभागाध्यक्ष आचार्य एम.टी.वी. नागाराजू ने प्राचीन भारतीय ज्ञान प्रणाली के डोमेन, स्रोत शब्दावली और विधियां विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली अनुभव, अवलोकन, प्रयोग और विश्लेषण पर आधारित है और यह शिक्षा, प्रशासन, स्वास्थ्य, कानून और वाणिज्य को प्रभावित करती रही है। उन्होंने गुरु-शिष्य परंपरा की महत्ता बताते हुए कहा कि यह प्रणाली वेदों, उपनिषदों और शास्त्रों के माध्यम से मौखिक संचरण पर आधारित थी, जिसमें चिंतन और मनन की प्रक्रिया से गहरी समझ विकसित होती थी।
द्वितीय सत्र में देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय, गोपेश्वर के प्रो. अमित कुमार जायसवाल ने भारतीय ज्ञान प्रणाली में शिक्षकों के गुण विषय पर विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि भारतीय शिक्षा दर्शन के अनुसार, एक शिक्षक को नैतिक मूल्यों, धैर्य, सांस्कृतिक जागरूकता, आलोचनात्मक सोच और सामाजिक जिम्मेदारी जैसे गुणों से युक्त होना चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि यदि भारत को विश्वगुरु बनाना है, तो हमें ऐसे शिक्षकों की आवश्यकता होगी जो आधुनिक शिक्षाशास्त्र को पारंपरिक प्रथाओं से जोड़ सकें।
कार्यक्रम का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र राम, संचालन विनय सिंह, विद्वानों का परिचय प्रो. रमाकांत सिंह और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शकुंतला सिंह ने किया।