लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान ने समाजवादी पार्टी (सपा) के उम्मीदवार अजीत प्रसाद को 61,540 वोटों के बड़े अंतर से हराया। मतगणना की शुरुआत से ही बीजेपी को बढ़त मिलती गई और सपा पूरे चुनाव में पिछड़ती रही।
शुरुआती रुझानों में ही बीजेपी ने समाजवादी पार्टी पर बढ़त बना ली थी। पहले राउंड में बीजेपी को 3,995 मतों की बढ़त मिली, जो हर दौर में बढ़ती चली गई। दूसरे राउंड में बीजेपी को 4,801 वोट मिले, जबकि सपा को सिर्फ 2,575 वोट ही मिले। इसके बाद लगातार बढ़त के चलते सपा कार्यकर्ताओं के चेहरे मुरझाने लगे और कई नेता मतगणना स्थल से लौटने लगे।
समाजवादी पार्टी के लिए यह हार सिर्फ मतगणना तक सीमित नहीं रही, बल्कि अजीत प्रसाद अपना खुद का बूथ भी हार गए। इस हार के साथ ही सपा कार्यकर्ताओं में निराशा छा गई और पार्टी कार्यालय, जहां चुनाव के दौरान हलचल रहती थी, वहां पूरी तरह सन्नाटा छा गया। सपा जिलाध्यक्ष समेत कोई भी बड़ा नेता मतगणना स्थल पर नहीं पहुंचा।
बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान की शानदार जीत के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। पार्टी कार्यालय में ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया गया। बीजेपी के जिलाध्यक्ष संजीव सिंह ने कहा कि यह जीत जनता का आशीर्वाद है। हमने पूरी ताकत लगाई थी और जनता ने हमें समर्थन दिया।

मिल्कीपुर सीट पर यह जीत बीजेपी के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव की हार का जवाब थी। अयोध्या जिले की फैजाबाद लोकसभा सीट पर मिली हार के बाद बीजेपी के लिए यह चुनाव नाक का सवाल बन गया था। कांग्रेस और बसपा ने इस उपचुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारे थे और कांग्रेस ने सपा को समर्थन दिया था, बावजूद इसके बीजेपी ने एकतरफा जीत दर्ज की।
चुनाव आयोग के अनुसार, 22वें राउंड की गिनती तक बीजेपी के चंद्रभानु पासवान को 1,11,703 वोट मिले, जबकि सपा के अजीत प्रसाद को मात्र 59,951 वोट ही मिल सके। इस निर्णायक बढ़त के साथ ही बीजेपी प्रत्याशी की जीत तय हो गई थी।
समाजवादी पार्टी के लिए यह हार बड़ा झटका साबित हुई है। 2022 में सपा ने यह सीट जीती थी, लेकिन मौजूदा विधायक अवधेश प्रसाद के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई थी। इस उपचुनाव में सपा ने उनके बेटे अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाया, लेकिन वे पार्टी का प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रहे।

बीजेपी की इस बड़ी जीत ने आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए नए संकेत दिए हैं। पार्टी इस जीत को अयोध्या में अपनी पकड़ मजबूत करने के रूप में देख रही है। वहीं, समाजवादी पार्टी के लिए यह हार उनके कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर डाल सकती है।
मिल्कीपुर उपचुनाव में मिली इस जीत से बीजेपी ने न सिर्फ अयोध्या में अपनी स्थिति मजबूत की है, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए भी सपा को एक कड़ा संदेश दे दिया है।