बनारस की प्रेम कहानी ब्लू लस्सी की दीवानी

मानवी चेतना को इश्क की सलवटों में लपेटकर कपासी बादलों पर सुनहरी आभा की पैजनी बजाने वाले शहर बनारस
एक रहस्य सरीखा है। बनारस, इसे बुझने के लिए कभी डूबना पड़ता है तो कभी खुद किरदार बनना पड़ता है। बनारस में तकरीबन हर प्रेम कहानी घाटों से गुजरती है और सीढ़ियों और चबूतरो पर पलती है।

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बनारस की प्रेम कहानी ब्लू लस्सी की दीवानी बनारस की प्रेम कहानी ब्लू लस्सी की दीवानी

अमित श्रीवास्तव

कचौड़ी, जलेबियां एवं लस्सी की दुकानों पर परवान चढ़ती है। जिंदगी में ढेरो सवाल ऐसे भी होते हैं जिनके जवाब नहीं होते। हर सवाल का जवाब ढूंढना पड़ता है।

JANHAVI KAPOOR BOLLYWOOD

बनारस रस से बना है और यहां रस हमेशा बना रहता है। इसलिए तो जनाब यह बनारस है। इस सदाबहार नगरी में कुछ ऐसी बात जरूर है जो दूसरों शहरों में नहीं है। आखिर बनारस में ऐसा कौन सा रस है जो इसे बनारस बनाता है? इसी रस की तलाश में हम निकल पड़े बनारस की मशहूर गली कचौड़ी गली जहां शहर का हर कोना हर गली हर घाट एक कहानी सुनाता है।
काशी में कहावत प्रचलित है ‘चाय पिए के होए त अस्सी आ नहीं तो ब्लू लस्सी के दुकान पर जा।

बनारस के श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पास मणिकर्णिका वाली गली में शमशान जाने वाले रास्ते पर करीब 100 मीटर चलने पर ब्लू लस्सी की दुकान मिलती है। जहां एक यहां नीले रंग का दुकान का साइन बोर्ड लगा हुआ है, वहीं दूसरी ओर दुकान भी नीला रंग में रंगी हुई है जो अपनेआप में दुकान के नाम ब्लू लस्सी को दर्शाता है।

BLUE LASSI VARANASI

जहां इस दुकान पर 120 तरह की लस्सी का स्वाद आपको मिलेगा। 96 वर्षों पुरानी यह दुकान जहां पर 50 पन्नों का मेन्यू उपलब्ध है। यहां के ब्लू लस्सी वर्ल्ड फेमस है। यहां आपको लस्सी के अलग-अलग रेट देखने को मिलेंगे। यहां ₹40 से शुरू होकर के डेढ़ सौ रुपये तक की लस्सी यहां मिलती है। तकरीबन रोजाना 4 से 5 हजार लोग यहां लस्सी पीने पहुंचते हैं।

जहां एक ओर यहां पर यूथ और विदेशियों की भीड़ होती है वहीं दूसरी ओर दुकान की दीवार पासपोर्ट साइज फोटो से भरी पड़ी है। जो यहां लस्सी को लेकर लोगों की दीवानगी को दर्शाती है। दुकानदार चंचल बताते हैं कि उनके दादाजी पन्ना लाल यादव ने 96 वर्ष पहले लस्सी के एक फ्लेवर से इस दुकान की शुरुआत की थी। आज यहां लोग 120 वैराइटीज से अधिक लस्सी के स्वादों का सेवन कर सकते हैं।

दुकानदार चंचला बताते हैं कि यहां एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर, भी लस्सी पीने आ चुकी हैं। एक्टर इम्तियाज अली भी यहां आ चुके हैं , उल्टा चश्मा के तारक मेहता भी यहां लस्सी के स्वाद का सेवन कर चुके हैं।
दुकानदार चंचल बताते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में यहां पर अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी और क्रांतिकारी कई बार साथ साथ लस्सी पिया करते थे।

कभी चंद्रशेखर आजाद भी यहां लस्सी पीने आया करते थे और उसका भुगतान उनके गुरु सचिंद्रनाथ सान्याल करते थे।
यह एक ऐसी अनोखी लस्सी की दुकान है जहां पर लोग अपने पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ लेकर आते हैं और विजिटर बुक में साइन करने की बजाय दीवारों पर अपना पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ चिपकाते हैं। और इस तरह लोग अपने इन पलों को एक यादगार पलों में तब्दील करते हैं।

चंचल बताते हैं कि हर 4 साल पर यह फोटोग्राफ हटा दिए जाते हैं। ब्लू लस्सी कि यह कहानी और उसकी पूरी दीवारें यादों का बाजार है। चंचल यह बताते हैं कि 20 साल पहले वह जापान और साउथ कोरिया के रेस्टोरेंट को छोड़कर के अपनी लस्सी की दुकान को जारी रखने के लिए बनारस चले आए। दुकानदार चंचल जापान और कोरिया रिटर्न है।

साभार–पोलैंड के एक मैगजीन में छपा था‌ ब्लू लस्सी का इंटरव्यू.

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