चुनावी वादों में मुफ्तखोरी पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी, कहा- लोगों की काम करने की इच्छा खत्म हो रही

नई दिल्ली I सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चुनावों में राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त सुविधाओं के वादे करने पर कड़ी नाराजगी जताई। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि इस तरह की योजनाओं से लोगों की काम करने की इच्छा समाप्त हो रही है, क्योंकि उन्हें राशन और पैसे बिना किसी श्रम के मिल रहे हैं।

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बेघर लोगों को मुख्य धारा में जोड़ने पर जोर
सुप्रीम कोर्ट में बेघर लोगों को शहरी इलाकों में आश्रय स्थल देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी की कि मुफ्त योजनाओं के कारण लोग श्रम से बचने लगे हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि बेघर लोगों की चिंता करना सराहनीय है, लेकिन क्या यह बेहतर नहीं होगा कि उन्हें समाज की मुख्य धारा में जोड़ा जाए और देश के विकास में भागीदार बनाया जाए?

केंद्र सरकार जल्द लाएगी योजना
केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमाणी ने बताया कि शहरी क्षेत्रों में बेघर लोगों के लिए आश्रय देने की योजना तैयार की जा रही है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि योजना कब तक लागू होगी। मामले की अगली सुनवाई छह हफ्ते बाद होगी।

मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर 19 फरवरी को सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई की तारीख तय कर दी है। कोर्ट इस मामले में 19 फरवरी को सुनवाई करेगा।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह जानकारी याचिकाकर्ता एनजीओ एडीआर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण को दी। प्रशांत भूषण ने कोर्ट से जल्द सुनवाई की अपील की थी, क्योंकि जल्द ही नए मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति होनी है।

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