नई दिल्ली। नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात हुए भीषण भगदड़ हादसे में 18 यात्रियों की जान चली गई। इस दुखद घटना ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्थाओं की खामियों को उजागर कर दिया है। हादसे की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय जांच समिति का गठन किया गया है। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार और आरपीएफ महानिदेशक भी मौके पर पहुंचे हैं।
रेलवे प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हर दिन 5 लाख से ज्यादा यात्री सफर करते हैं। भीड़ प्रबंधन के लिए आरपीएफ कर्मियों की तैनाती रहती है, लेकिन हादसे के दिन कोई चेतावनी जारी नहीं की गई थी।
सीसीटीवी निगरानी प्रणाली फेल
स्टेशन के हर प्लेटफॉर्म पर सीसीटीवी कैमरों से लाइव निगरानी होती है। डीआरएम अपने कार्यालय से पूरे स्टेशन पर नजर रख सकते हैं, इसके बावजूद बढ़ती भीड़ को काबू करने में प्रशासन विफल रहा। रेलवे ने जनरल टिकटों की बिक्री भी जारी रखी, जिससे भीड़ अनियंत्रित हो गई।
ट्रेन रद्द होने की अफवाह से मचा हड़कंप
सूत्रों के अनुसार, प्रयागराज जाने वाली दो ट्रेनों के रद्द होने की अफवाह फैल गई, जिससे प्लेटफॉर्म पर हजारों यात्री इकट्ठा हो गए। रेलवे ने हालांकि ट्रेनों के रद्द होने से इनकार किया और बताया कि चार विशेष ट्रेनें चलाई गईं। हादसे के बाद भी रेलवे प्रशासन आधिकारिक बयान देने में देरी करता रहा।
नेताओं ने जताया शोक
दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने हादसे पर गहरा शोक जताया और प्रशासन को राहत कार्य तेज करने के निर्देश दिए।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में हुई मौतों की खबर से गहरा दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं।”
रेलवे की जवाबदेही पर सवाल
इस हादसे ने रेलवे की सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जांच पूरी होने के बाद ही जिम्मेदारों की पहचान हो सकेगी।
यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रेलवे को अपनी व्यवस्थाओं में सुधार करना होगा।