दिसपुर। असम विधानसभा में मुस्लिम विधायकों के लिए शुक्रवार को मिलने वाली दो घंटे की ‘नमाज ब्रेक’ की परंपरा अब पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है। यह फैसला विधानसभा के पिछले सत्र में मंजूर किया गया था, लेकिन इसे मौजूदा बजट सत्र से लागू किया गया है।
इस फैसले पर असम की विपक्षी पार्टी एआईयूडीएफ (AIUDF) ने कड़ा विरोध जताया है। पार्टी के विधायक रफीकुल इस्लाम ने इसे “संख्या बल के आधार पर थोपा गया फैसला” करार दिया और कहा कि असम विधानसभा में करीब 30 मुस्लिम विधायक हैं, लेकिन बीजेपी के पास बहुमत है और वे इसे अपने हिसाब से लागू कर रहे हैं।
कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने भी इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी और सुझाव दिया कि मुस्लिम विधायकों के लिए विधानसभा परिसर में नमाज अदा करने की व्यवस्था की जा सकती है। उन्होंने कहा कि यह केवल शुक्रवार की विशेष प्रार्थना के लिए है, इसलिए इसके लिए एक उचित समाधान निकाला जा सकता है।
असम विधानसभा के स्पीकर बिस्वजीत दैमारी ने इस फैसले को संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को ध्यान में रखते हुए लिया और कहा कि शुक्रवार को भी सदन की कार्यवाही बाकी दिनों की तरह सामान्य रूप से चले।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह परंपरा 1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला द्वारा शुरू की गई थी, और इस फैसले से प्रोडक्टिविटी को प्राथमिकता दी जा रही है।