
सियोल I उत्तर कोरिया के हालिया मिसाइल परीक्षणों के जवाब में अमेरिका ने अपना विमानवाहक पोत दक्षिण कोरिया के बुसान बंदरगाह पर तैनात कर दिया है। यह कदम अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैन्य सहयोग को और मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
दक्षिण कोरियाई नौसेना के अनुसार, ‘यूएसएस कार्ल विन्सन’ और उसके स्ट्राइक ग्रुप की तैनाती दोनों देशों के सैन्य गठबंधन को मजबूत करने और उनकी संयुक्त सैन्य क्षमताओं के अंतर-संचालन को बढ़ाने के लिए की गई है। यह जून के बाद पहली बार है जब कोई अमेरिकी विमानवाहक पोत दक्षिण कोरिया पहुंचा है। उत्तर कोरिया अमेरिका की सैन्य तैनातियों को सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा मानता है और इससे उसकी नाराजगी बढ़ सकती है।
उत्तर कोरिया ने किया क्रूज मिसाइल परीक्षण
उत्तर कोरिया ने हाल ही में अपनी रणनीतिक क्रूज मिसाइलों का परीक्षण कर अपनी सैन्य शक्ति और परमाणु हथियारों की तत्परता का प्रदर्शन किया। नेता किम जोंग उन ने सेना को पूरी तरह से परमाणु हमले के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तर कोरिया की यह आक्रामकता अमेरिका की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के प्रति उसकी प्रतिक्रिया है।
किम से फिर बातचीत करना चाहते हैं ट्रंप
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद किम जोंग उन के साथ फिर से कूटनीतिक बातचीत शुरू करने की इच्छा जताई है। हालांकि, उत्तर कोरिया ने इस पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है और अमेरिका पर शत्रुतापूर्ण नीतियां अपनाने का आरोप लगाया है।
रूस के साथ सहयोग को प्राथमिकता दे रहे किम
विशेषज्ञों के मुताबिक, किम फिलहाल अमेरिका से वार्ता की ओर रुख नहीं करेंगे, क्योंकि उनका ध्यान रूस के साथ सहयोग बढ़ाने पर है। उत्तर कोरिया रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर रहा है, खासकर यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर। माना जा रहा है कि जब किम को लगेगा कि रूस के साथ यह रणनीतिक सहयोग बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, तभी वह कूटनीतिक वार्ता पर विचार करेंगे।
ट्रंप-किम की पहले हो चुकी हैं तीन मुलाकातें
डोनाल्ड ट्रंप और किम जोंग उन के बीच 2018-19 के दौरान तीन बार बैठकें हुई थीं। इन वार्ताओं का मकसद उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम को लेकर किसी समझौते पर पहुंचना था, लेकिन अमेरिका के प्रतिबंध हटाने से इनकार करने के कारण ये बातचीत नाकाम हो गई थी। अब देखना होगा कि ट्रंप की नई पहल से दोनों देशों के बीच कूटनीति फिर से शुरू हो पाती है या नहीं।