Mahakumbh 2025 – देश की अर्थव्यवस्था में अमृत वर्षा


मिथिलेश कुमार पाण्डेय

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13 जनवरी 2025 से 26 फ़रवरी 2025 तक प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ मेला आस्था और धार्मिक विश्वास का ज्वलंत उदाहरण था l यूँ तो महाकुम्भ का आयोजन हर 12 वर्ष में एक बार होता है परन्तु इस बार का महाकुम्भ विशेष था क्योंकि यह बताया गया कि इस बार के ग्रहों की खगोलीय स्थिति जो बनी थी वह 144 वर्षो के बाद बनी थी और यह वही स्थिति थी जो कि समुद्र मंथन के समय थी l इसके कारण यह महाकुम्भ अत्यंत पवित्र और पुण्य फलदायक माना गया l इस तरह ग्रहों की खगोलीय स्थिति पुनः 144 वर्ष बाद ही मिल पायेगी l

प्रशासन द्वारा आयोजन का प्रचार प्रसार भी किया गया जिससे अधिक से अधिक सनातन आस्था वाले लोग इस अवसर का लाभ लेने के लिए अपने उपलब्ध साधनों से प्रयागराज की ओर चल पड़े l यह न केवल धार्मिक और सांकृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण था बल्कि भारतीय अर्थ व्यवस्था पर भी मजबूत और सकारात्मक प्रभाव छोड़ने में सफल रहा l

उत्तर प्रदेश सरकार की रिपोर्ट के अनुसार 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने इस अवधि में पवित्र संगम में अमृत स्नान किया और 144 वर्षों के बाद होनेवाले अनोखे ग्रहीय स्थिति का पुण्य प्राप्त किया l इतने बड़े जन समुदाय के आगमन से प्रस्थान तक की सुरक्षित व्यवस्था करके प्रसाशन ने एक अभूतपूर्व काम किया है जो पूरी दुनिया के लिए एक उदहारण होगा और क्राउड मैनेजमेंट के क्षेत्र से जुड़े लोगों को जब भी सिखने की इच्छा होगी तो यह आयोजन एक सटीक उदहारण होगा l इस आयोजन ने देश और खास करके उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को काफी मजबूती देने में सफल रहा जो कि नीचे वर्णित आंकड़ो से स्पष्ट होता है l

सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 66 करोड़ से ज्यादा लोगों ने महाकुम्भ 2025 की अवधि में मेला क्षेत्र में आये l कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुसार इस आयोजन में लगभग 3 लाख करोड़ का व्यापार उत्पन्न हुआ जिसे नीचे के टेबल में दर्शाया गया है :

क्षेत्र अनुमानित व्यापार ( रुपये करोड़ में)
पर्यटन ( होटल, धर्मशाला, टूरिज्म )40,000
खानपान25,000
धार्मिक सामग्री30,000
खुदरा45,000
परिवहन20,000
स्वस्थ्य सेवा8,000
बुनियादी ढांचा विकास50,000
मीडिया + विज्ञापन20,000
हस्त शिल्प15,000
व्यक्तिगत खर्चे25,000
सप्लाई चेन8,500
धार्मिक दान दक्षिणा15,000
कुल योग3,09,500

Mahakumbh के आयोजन से लगभग 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार हुआ l इस महा आयोजन में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जापान, थाईलैंड, नेपाल, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, मलेसिया, फ्रांस, जर्मनी, रूस आदि 50 देशो से लगभग 30 लाख विदेशी श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया l यदि प्रति व्यक्ति औसत खर्च $1000 से $1500 माना जाय तो 300 से 450 करोड़ डॉलर का अनुमानित विदेशी मुद्रा भारत को प्राप्त हुआ जो कि 25000 – 35000 करोड़ रुपये के बराबर होगा l

प्रयागराज और आसपास के लगभग 5 लाख छोटे और मंझोले व्यापारियों को प्रत्यक्ष लाभ हुआ l अस्थायी टेंट, स्टाल, सड़क किनारे दुकान, स्थानीय बाज़ारों में वस्त्र, पूजा सामग्री, खिलौने, हस्तशिल्प आदि की विक्री में जबरदस्त वृद्धि ( 300% से अधिक ) दर्ज की गयी है l महाकुम्भ में सीजनल और आस्थाई रूप से 10 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिला जिनमें सफाईकर्मी, सुरक्षा गार्ड, टेंट श्रमिक, गाइड, होटल कर्मचारी, ड्राईवर, स्वास्थ्य कर्मी, टेक्निकल सपोर्ट स्टाफ आदि शामिल हैं l डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन बुकिंग सेवाओं के चलते तकनीकि क्षेत्र में भी हजारो लोगों को रोजगार के अवसर मिले l
महाकुम्भ के लिए सड़कों के चौडीकरण, नए फ्लाईओवर, रेलवे स्टेशन का विस्तार आदि में 7500 करोड़ रुपये का सरकारी खर्च हुआ। इसके अलावा निजी क्षेत्र द्वारा होटल, धर्मशाला, टेंट सिटी, पुल, यात्री सुविधाएँ, धार्मिक संस्था और मठ, साफ सफाई, चिकित्सा शिविर के लिए CSR खर्चे मिलकर लगभग 50,000 करोड़ रुपये खर्च हुए जिससे लाखो लोगों को रोजगार मिला l मेला क्षेत्र में 70% से ज्यादा भुगतान डिजिटल माध्यम से हुआ जिससे कैश पर निर्भरता कम हुई और डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली l डिजिटल सेवा से जुड़े स्टार्टअप और फिनटेक कंपनियों को काफी लाभ हुआ l

Mahakumbh की भव्यता और सफलता से प्रयागराज ग्लोबल स्पिरिचुअल हब के रूप में स्थापित हुआ है जिससे भविष्य में उत्तर प्रदेश को धार्मिक पर्यटन के लिए जाना जायेगा और विदेशी शैलानियों का आना जाना होता रहेगा l देश में इस क्षेत्र के लिए FDI की सम्भावना रहेगी और विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती रहेगी l

Mahakumbh का प्रचार प्रसार डिजिटल मीडिया, रेडियो, टीवी, अखबार, सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर हुआ जिसमे केंद्र सरकार, राज्य सरकार, धार्मिक संस्थाएं, और विभिन्न ब्रांड ने विज्ञापनों पर 20,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किया जो कि विज्ञापन एजेंसियों के लिए लाभदायक साबित हुआ l प्रयागराज और आस पास के जिलों के कारीगरों, हस्तशिल्पकारों के लिए भी Mahakumbh एक वरदान के रूप में स्थापित हुआ क्योंकि मूर्तियों, लकड़ी और धातुशिल्प, पारंपरिक वस्त्र, धार्मिक पेंटिंग्स आदि के क्षेत्र में लगभग 15,000 करोड़ रुपये का व्यापार हुआ बताया जाता है l श्रद्धालु न केवल अपनी यात्रा पर खर्च करते है बल्कि पंडालों, अखाड़ो, साधू संतों को दान भी देते हैं l विभिन्न धार्मिक संस्थाओं और अखाड़ो को प्राप्त दान का अनुमानित मूल्य लगभग 15,000 करोड़ रुपये बताये जा रही है l

Mahakumbh के आयोजन में चुनौतियाँ भी कम नहीं थी l पर्यावरण की रक्षा, गंगा यमुना की सफाई, भीड़ प्रबंधन, आपदा प्रवंधन, धार्मिक व्यापार में कालाधन का उपयोग, स्वस्थ्य और स्वच्छता सुविधाओं की सीमाएं आदि चुनौतियाँ इतने बड़े महा आयोजन में सदैव विद्यमान रहता है l उत्तर प्रदेश की सरकार ने केंद्रीय सरकार से बेहतर तालमेल स्थापित करके इन सभी चुनौतियों का सफलता पूर्वक सामना करते हुए 45 दिनों तक चले इस महायोजन को लगभग निष्कलंक रूप से सम्पन्न करके पूरे विश्व के समक्ष एक ऐसा उदाहरण प्रस्तुत किया है जिसका दूसरा विकल्प कही भी नहीं मिलेगा l

Mahakumbh के दौरान एक दो अप्रिय घटनाओं में हुए जन धन की क्षति कष्टदायक है और निश्चय ही सम्बंधित परिवारों के लिए अपुरनीय है जिसके लिए प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री खेद प्रकट कर चुके हैं और शासकीय सहायता भी उपलब्ध करायी गयी है l

यह कहा जा सकता है कि Mahakumbh 2025 भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए न केवल एक धार्मिक आयोजन है बल्कि यह एक तीव्र आर्थिक विकास, वैश्विक संस्कृतिक प्रचार और स्थानीय रोजगार सृजन का अद्भुत मंच बनकर उभरा है l 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार सृजित करके यह आयोजन भारत के धार्मिक पर्यटन उद्योग को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने में सफल रहा है l भविष्य में आयोजनों के सतत विकास के लिए कदम उठाने की जरुरत होगी l राजनीतिक और धार्मिक दायरे से ऊपर उठकर इसके आर्थिक महत्व को समझते हुए यथोचित कदम उठाने की जरुरत रहेगी l
उपर्युक्त आंकड़े CAIT रिपोर्ट कुम्भ मेला 2025, उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग रिपोर्ट, पर्यटन मंत्रालय, भारत सरकार,मीडिया रिपोर्ट और सर्वे (2024- 25) और श्रद्धालु और व्यापारियों से इंटरव्यू पर आधारित है।

One thought on “Mahakumbh 2025 – देश की अर्थव्यवस्था में अमृत वर्षा

  1. महाकुंभ के द्वारा आर्थिक विकास और प्रगति का एक बहुत ही अच्छा आंकड़ों का संकलन करके मेहनत के साथ आकलन एवं विश्लेषण प्रस्तुत किया है, क्योंकि आहूत से पहलू आम जन साधारण के सोच के बाहर है, पांडे जी और न्यूज टीम को साधुवाद, यह प्रस्तुतिकरण बहुत से विश्लेषकों को भी सोचने पर मदद करेगा ।।

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