मॉरिशस में PM Modi

भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Modi) दो दिनों की राजकीय यात्रा पर मॉरिशस पहुच गये हैं जहाँ उनका भव्य और शानदार स्वागत किया गया l हवाई अड्डे पर राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री और लगभग सम्पूर्ण कैबिनेट प्रधान मंत्री मोदी के स्वागत के लिए उपस्थति थे l वर्तमान दौरे में PM Modi मॉरिशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे l

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मिथिलेश कुमार पाण्डेय


इसके अलावा द्विपक्षीय वार्ता भी करेंगे और चागोस द्वीप समूह पर मॉरिशस के सार्वभौमिकता का समर्थन तथा भारत की पारिकल्पना ‘SAGAR Security and Growth for All in the Region” की पुनर्पुष्टि करेंगे l चागोस 55 द्वीपों का एक समूह है जिसपर 1814 की पेरिस संधि के अनुसार ब्रिटेन ने कब्ज़ा कर लिया था और इसे सामरिक और सैन्य उपयोग के लिए सुरक्षित रखा l इसमे से एक द्वीप डिएगो गार्सिया को ब्रिटेन ने 1971 में अमेरिका को 50 साल की लीज पर दे दिया जिसे अमेरिका ने सैन्य अड्डे के रूप में विकशित किया जिसका उपयोग अमेरिका ने अफगानिस्तान, इराक और मध्य पूर्व में सैन्य अभियानों के लिए किया था l

अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय ने चागोस पर ब्रिटेन के पक्ष को अवैध बताया जिसे ब्रिटेन ने मानने से इंकार कर दिया l ब्रिटेन का कहना है कि चागोस द्वीप समूह एक रणनीतिक संपत्ति है और इसे रक्षा उद्देश्यों के लिए बनाय रखना जरुरी है l भारत मॉरिशस के दावे का समर्थन करता है l

PM Modi अपने 2015 के मॉरिशस यात्रा के दौरान SAGAR नीति की घोषणा की थी जिसका उद्देश्य हिन्द महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और विकास को सुनिश्चित करना है l इस नीति के तहत भारत का लक्ष्य हिन्द महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग को मजबूत करना और इस क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को सुदृढ़ करना है l SAGAR के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं :

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समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना जिसके अंतर्गत समुद्री मार्गों को सुनिश्चित करना, समुद्री लूट, आतंकवाद, मानव तस्करी, अवैध मछली पकड़ने और नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकना है l

आर्थिक विकास को बढ़ावा देना जिसके लिए बंदरगाहों, नौवहन, समुद्री व्यापार को बढ़ाना, ब्लू इकॉनमी का विकास करना और समुद्री संसाधनों का समुचित उपयोग सुनिचित करना है l आपदा प्रबंधन जिसके अंतर्गत समुद्री और प्राकृतिक आपदाओं के समय बचाव कार्य और मानवीय सहायता प्रदान करना है l

क्षेत्रीय संबंधों को मजबूत करना : हिन्द महासागर क्षेत्र के देशों के साथ रक्षा, व्यापार और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाना तथा समुद्री सीमाओं से सम्बंधित विवादों का शांतिपूर्वक समाधान खोजना l
पर्यावरण संरक्षण : समुद्री पारिस्थितिक तंत्र का संरक्षण, जलवायु परिवर्तन और समुद्री प्रदुषण को रोकना l

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मॉरिशस भारत का एक विश्वसनीय व्यापारिक साझेदार है जिसमें भारत की स्थिति व्यापारिक अधिशेष (Trade Surplus) वाली है l सन 2021 में भारत ने मॉरिशस से व्यापार समझौता (CECPA Comprehensive Economic Cooperation and Partenership Agreement ) किया था जिसके तहत भारत ने मॉरिशस को 310 वस्तुओं पर शुन्य सीमा शुल्क की सुविधा दी है l

सन 2024 में भारत मॉरिशस को 77.8 करोड़ डॉलर का निर्यात किया था जबकि वहां से 7.3 करोड़ डॉलर का आयात हुआ था l भारत परिष्कृत पेट्रोलियम, दवाईयां, वाहन, दाल, कपास आदि निर्यात करता है जबकि वहां से स्क्रैप आयरन, स्क्रैप अल्लुमुनियम और चिकित्सा उपकरण आयात करता है l

मॉरिशस की आज़ादी में भारत ने सक्रिय समर्थन किया था और जब 12 मार्च 1968 को मॉरिशस ने आज़ादी पाई तो भारत ने सबसे पहले इसे मान्यता दी थी l मॉरिशस में लगभग 68% भारतीय मूल के लोग रहते हैं और वहां पर भारतीय त्यौहार बड़े धूम धाम से मनाया जाता है l वहां भारत ने महात्मा गाँधी संस्थान और इंदिरा गाँधी सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना की है l भारतीय मूल के कई प्रधान मंत्री मॉरिशस में बने हैं l

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भारत और मॉरिशस के बीच मजबूत कुटनीतिक सम्बन्ध है l दोनों देश परस्पर राजनितिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने के लिए एक दूसरे देश में अपने अपने उच्चायोग संचालित करते हैं l भारत ने मॉरिशस को समुद्री सुरक्षा और समुद्री निगरानी में सहयोग करता है l भारत और मॉरिशस की नौसेनाएं नियमित रूप से संयुक्त अभ्यास करती हैं जिससे समुद्री सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी अभियानों को मजबूती मिली है l

भारत ने मॉरिशस को सामरिक और रक्षा सहायता के लिए 10 करोड़ डॉलर के अनुदान की घोषणा की है और सौर उर्जा परियोजनाओं तथा डिजिटल भुगतान प्रणाली के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की है l भारत ने मॉरिशस को नौसेना पोत, गस्ती नौकाएं, ड्रोन, राडार सिस्टम आदि रक्षा उपकरण भी दिए हैं l हिन्द महासागर क्षेत्र में शांति और भारतीय प्रभुत्व अपने देश के लिए बहुत आवश्यक है जोकि चाइना से संभावित खतरे से देश को बचाएगा l इस लिहाज से भारत के प्रधान मंत्री का मॉरिशस जाना देश के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखकर अपने पारंपरिक पड़ोसी मित्र देश के साथ मधुर सम्बन्ध बनाये रखने के लिए जरुरी है l

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