Second Hand Fashion: परिवर्तन दुनिया में सबसे स्थायी है l फैशन के मामले में यह बिल्कुल सच है l कौन सी वस्तु कब फैशन में आ जाय और कब बाहर हो जाय, यह जान पाना बहुत कठिन है l परिधान, वस्त्र, जूते आदि फैशन से प्रभावित होते हैं l उपभोक्ताओं की प्रवित्ति और झुकाव फैशन के अनुरूप होता है और वे अपनी क्षमता के अनुसार इस पर व्यय करते हैं l
मिथिलेश कुमार पाण्डेय (लेखक पूर्व सहायक महाप्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं आर्थिक विश्लेषक)
अनलाइन व्यापार प्लेटफार्म “ ThreadUp Inc “ के अनुसार दुनिया में वस्त्र परिधान पर पिछले साल में लगभग 2,27,000 करोड़ डॉलर खर्च किए गए जिनमें से लगभग 10% सेकंड हैन्ड वस्त्रों पर किया गया l सेकंड हैन्ड (Second Hand Fashion) वस्त्र नए वस्त्रों की तुलना में काफी किफायती होते हैं l बाजार विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं के अनुसार सेकंड हैन्ड वस्त्रों के व्यापार में तेज वृद्धि होगी l अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीति के कारण वहाँ नए और सेकंड हैन्ड वस्त्रों की कीमत में अंतर में वृद्धि अवश्यंभावी है क्योंकि नए कपड़े आयात किए जाएंगे जो नई कर व्यवस्था के अंदर होंगे जबकि सेकंड हैन्ड वस्त्र स्थानीय होंगे l

बड़े बड़े e-commerce कम्पनियाँ जैसे ThreadUp Inc, eBay, Poshmark आदि अपने प्लेटफार्म को सेकंड हैन्ड (Second Hand) वस्त्रों की खरीद विक्री के लिए उपलबद्ध करा रहे हैं l अन्य बड़े ब्रांडस भी इस दिशा में खुद से या किसी अन्य के साथ सहभागिता करके इस दिशा में सक्रिय हैं और व्यापार के नए अवसर का लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं l Archive, Vestiare Collective और Trove जैसे बड़े e-commerce प्लेटफार्म इस दिशा में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं l
खुदरा व्यापार विश्लेषक फर्म GlobalData और ThreadUp Inc के आंकड़ों के अनुसार 2014 में सेकंड हैन्ड फैशन (Second Hand Fashion) की विक्री में 15% का इजाफा हुआ है जोकि 2025 में 25,000 करोड़ डॉलर तथा 2027 में 30,000 करोड़ डॉलर से ज्यादा होने का अनुमान है l सेकंड हैन्ड परिधानों की ओर झुकाव इसलिए भी बढ़ रहा है क्योंकि बड़े महंगे ब्रांड के परिधान जो आमतौर पर सामान्य जनों की क्षमता से बाहर होते हैं, वो भी सेकंड हैन्ड बाजार में मिल जाते हैं l समय के साथ उपभोक्ताओं के मनोभाव भी बदले हैं l

महंगे सामानों की पुनर्खरीद-विक्री के अनलाइन प्लेटफार्म Vestiaire Collect के अमेरिका के मुख्य कार्यकारी अधिकारी समीना विर्क के शोध के अनुसार Second Hand परिधानों के प्रति सामाजिक नजरिया बदल रहा है l सेकंड हैन्ड परिधान जो पहले हीन माने जाते थे वे अब वैसे नहीं हैं l
अब उनको सामान्य तौर पर अपनाया जा रहा है l सेकंड हैन्ड मार्केट कोई नई अवधारणा नहीं है l पुराने अनोखे समान, पुरानी पुस्तकें, paintings आदि तो हमेशा से ही खरीदे बेचे जाते रहे हैं l परंतु परिधानों में यह एक नई सोच की तरह प्रचलित हो रहा है l नए युग के बच्चे जो कि इंटरनेट और स्मार्टफोन के युक्त परिवेश मे पाले बढ़े हैं उनके लिए online खरीद विक्री बहुत आसान है और वे लोग त्वरित रफ्तार से online बाजार को गति प्रदान कर रहे हैं l


आर्टिफिशियल इनटेलिजेंस ने भी Online व्यापार को नया विविधतापूर्ण आयाम दिया है और इसे आकर्षक तथा रोमांचक बनाने मे सफल हो रहा है l Second Hand परिधानों में से अपने पसंद का सामान ढूँढना ज्यादातर उबाऊ हो जाता है और उपभोक्ता परेशान होता है l इससे बचाने के लिए आर्टिफिशियल इनटेलिजेन्स का प्रयोग होता है जिसके द्वारा ग्राहक अपने पसंद और जरूरत के सामानों का फ़ोटो अपलोड करता है और बिल्कुल वैसा ही सामान उसे उपलबद्ध कराया जाता है l
पर्यावरण प्रेमी उपभोक्ताओं में यह ज्यादा लोकप्रिय हो रहा है क्योंकि वे नए उत्पादन और उनके परिवहन के दौरान होने वाले उत्सर्जन से भी दुनिया को बचा रहे हैं l प्रयुक्त सामानों की विक्री उनके नष्ट करने की तुलना में पर्यावरण के लिए ज्यादा अनुकूल है l Vestiaire Collect के डाटा के अनुसार इनके साइट पर बेचे गए पुराने परिधानों में से 79% नए के विकल्प के रूप मे थे l