Chaitra Navratri 2025 : वासंतिक नवरात्रि का छठवां दिन है मां कात्यायनी और ललिता गौरी को समर्पित, काशी के इस क्षेत्र में है माता का मंदिर

Chaitra Navratri 2025 : वासंतिक नवरात्रि के छठे (Chaitra Navratri 2025) दिन श्रद्धालु माता कात्यायनी के दर्शन के लिए उमड़ते हैं। वाराणसी के संकठा घाट स्थित आत्माविश्वेश्वर मंदिर परिसर में मां कात्यायनी देवी का मंदिर है, जहां श्रद्धालु माता के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं। साथ ही, गौरी स्वरूप में ललिता गौरी के मंदिर में भी भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है।

Chaitra Navratri 2025 : काशी के इस मंदिर में दर्शन मात्र से मिलती हैं हर संकट से मुक्ति, नारियल व चुनरी के चढ़ावे से मां होती है प्रसन्न

Chaitra Navratri 2025 : श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़, मंदिर परिसर गूंजा जयकारों से

मंदिर परिसर के बाहर भक्तों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। श्रद्धालु माता कात्यायनी और मां ललिता गौरी के दरबार में लाल चुनरी, नारियल, चूड़ियां और अन्य श्रृंगार सामग्री अर्पित कर सुख-समृद्धि की प्रार्थना कर रहे हैं। पूरे मंदिर परिसर में “जय माता दी” के जयकारे गूंज रहे हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया है।

Chaitra Navratri 2025 : वासंतिक नवरात्रि का छठवां दिन है मां कात्यायनी और ललिता गौरी को समर्पित, काशी के इस क्षेत्र में है माता का मंदिर Chaitra Navratri 2025 : वासंतिक नवरात्रि का छठवां दिन है मां कात्यायनी और ललिता गौरी को समर्पित, काशी के इस क्षेत्र में है माता का मंदिर

पंचामृत स्नान के बाद हुआ मंगल आरती

मंगला आरती से पहले मां को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराया गया। इसके बाद मंदिर के पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए। श्रद्धालुओं ने नारियल और चुनरी अर्पित कर माता से सौभाग्य एवं मंगलमय जीवन की कामना की।

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देवी कात्यायनी का दिव्य स्वरूप और मान्यता

मान्यता है कि देवताओं की कार्य सिद्धि के लिए भगवती महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुई थीं। महर्षि ने उन्हें अपनी कन्या के रूप में स्वीकार किया, जिससे वे ‘कात्यायनी’ के नाम से विख्यात हुईं। शास्त्रों में उल्लेख है— “देवानाम् कार्यसिद्धर्थ माविर्भवति सायदा”, यानी देवताओं के कार्य सिद्ध करने के लिए भगवती विभिन्न रूपों में अवतरित होती हैं। तीन नेत्रों वाली माता कात्यायनी का स्वरूप सौम्य होते हुए भी रक्षक और संहारक शक्ति से युक्त है। इनकी उपासना से भक्तों को भय से मुक्ति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

ललिता गौरी देवी की विशेष महिमा

नवगौरी के छठे स्वरूप के रूप में प्रसिद्ध मां ललिता गौरी, वाराणसी के ललिता घाट पर स्थित हैं। मान्यता है कि यह देवी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उनकी सभी विघ्न-बाधाओं को हरती हैं। देवी की उपासना से व्यक्ति को ललित कलाओं में विशेष उपलब्धि प्राप्त होती है। गुड़हल का फूल माता को विशेष रूप से प्रिय है, जिसे चढ़ाने से विशेष कृपा प्राप्त होती है।

इस प्रकार, वासंतिक नवरात्रि (Chaitra Navratri 2025) के छठवें दिन मां कात्यायनी और मां ललिता गौरी के दर्शन भक्तों के लिए विशेष फलदायी माने जाते हैं।

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