Sankat Mochan Music Festival: भीड़ उमड़ी, तालियां रुकी नहीं… जब बांसुरी ने छेड़ा ‘ओम जय जगदीश हरे’

वाराणसी। संकट मोचन (Sankat Mochan) मंदिर का प्रांगण बुधवार रात उस समय मधुबन बन गया, जब बांसुरी की स्वर लहरियों में कान्हा की मिठास घुली और पखावज की थाप में राधा-भाव जाग उठा। 102वें साल के छह दिवसीय संकट मोचन संगीत समारोह की शुरुआत हरिप्रसाद चौरसिया की बांसुरी और महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्रा की पखावज संगत के साथ हुई। जैसे ही राग विहाग की धुन गूंजी, मंदिर परिसर में श्रद्धालु ग्वाल-बाल की तरह उमड़ पड़े।

पं. हरिप्रसाद की तीन बार बांसुरी बदलकर प्रस्तुत धुनों ने न सिर्फ भारतीय बल्कि विदेशी श्रोताओं को भी झूमने पर मजबूर कर दिया। समापन ‘ओम जय जगदीश हरे’ की धुन से हुआ और पूरे परिसर में ‘हर-हर महादेव’ का जयघोष गूंज उठा।

Sankat Mochan Music Festival: भीड़ उमड़ी, तालियां रुकी नहीं… जब बांसुरी ने छेड़ा ‘ओम जय जगदीश हरे’ Sankat Mochan Music Festival: भीड़ उमड़ी, तालियां रुकी नहीं… जब बांसुरी ने छेड़ा ‘ओम जय जगदीश हरे’

संगीत ही जीवन का सार: पं. हरिप्रसाद

87 वर्षीय पं. चौरसिया ने कहा, “पढ़ाई भले काम न आए, लेकिन संगीत और संगत जीवन में काम आते हैं। मैं 200 वर्षों तक संकट मोचन में प्रस्तुति दूंगा।”

आधुनिकता पर तंज, परंपरा पर अटल विश्वास

पंडित जी ने आज की संगीत विधा को पहचानने से इनकार किया और कहा कि बनारस जैसा मंच पूरी दुनिया में नहीं है। उन्होंने AI की वजह से गरीब कलाकारों की उपेक्षा पर चिंता जताई लेकिन तकनीक से संगीत को होते लाभ को भी स्वीकारा।

रात्रिकालीन प्रस्तुति में छाया भाव और भक्ति का संगम

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पं. अजय पोहनकर की प्रस्तुति में गजल ‘ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया’ और ‘कैसे बीते दिन-रात’ ने आधी रात में श्रोताओं की नींद तोड़ी और तालियों की गूंज के बीच मंत्रमुग्ध कर दिया।

भरतनाट्यम में झलकी यशोदा और मीरा की छवि

बंगलूरू की जननी मुरली ने अपनी भरतनाट्यम प्रस्तुति से बालगोपाल की लीलाओं को सजीव कर दिया। संत पुरंदरदास की रचना पर आधारित नृत्य में वात्सल्य और भक्ति की झलक दिखाई दी।

300 सेकंड तक तबला और संतूर का अद्भुत संगम

पं. राहुल शर्मा और पं. रामकुमार मिश्र की जुगलबंदी ने राग झिंझोटी में श्रोताओं को बांध लिया। 300 सेकंड तक बिना रुके दोनों वाद्य बजते रहे और समापन पहाड़ी धुन पर हुआ।

कला दीर्घा में दिखा रामभक्ति का रंग

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400 से अधिक चित्रों वाली कला दीर्घा में सवा तीन लाख की सबसे महंगी पेंटिंग से लेकर 11 वर्षीय जीवा द्वारा ‘राम’ नाम से बनी हनुमान जी की चित्रकारी तक, श्रद्धा और सृजन की अनूठी मिसाल पेश की गई। BHU की खुशी यादव ने चॉक पर सुई से हनुमान चालीसा लिखकर रिकॉर्ड बनाया।

आज की प्रस्तुतियां

  • लावण्या शंकर : भरतनाट्यम
  • प्रो. राजेश शाह और डॉ. रजनीश तिवारी : सितार और तबला
  • पं. अजय चक्रवर्ती, कल्याण चक्रवर्ती और धर्मनाथ मिश्रा : गायन व संगत
  • पं. पूर्वायन चटर्जी व पं. संजू सहाय : सितार और तबला
  • मंजूनाथ और नागराज माधवप्पा : वायलिन वादन
  • पं. नीरज पारिख और बिलाल खां : गायन और तबला

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