Varanasi : बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल में डायग्नोस्टिक सेवाओं(diagnostic services) के टेंडर में कथित फर्जीवाड़े के मामले में पल्स डायग्नोस्टिक के प्रबंध निदेशक (MD) मनोज कुमार शाह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और एफआईआर रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही, याचिका को औपचारिक रूप से वापस लेने की अनुमति देते हुए इसे समाप्त कर दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने दिया।
यह विवाद बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल द्वारा 6 अगस्त 2024 को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत डायग्नोस्टिक इमेजिंग सेवाओं और अन्य चिकित्सा कार्यों के लिए जारी टेंडर से जुड़ा है। शिकायतकर्ता डॉ. उदयभान सिंह ने लंका थाने में दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया कि टेंडर की शर्तों के अनुसार आवेदन की अंतिम तिथि तक सभी आवश्यक दस्तावेज, जैसे वैध जीएसटी नंबर, जमा करना अनिवार्य था।

आरोप है कि मनोज कुमार शाह ने फर्जी तरीके से जीएसटी आवेदन नंबर का उपयोग कर टेंडर में हिस्सा लिया और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से टेंडर हासिल कर लिया। एफआईआर में बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. कैलाश कुमार, डॉ. ए.एन.डी. द्विवेदी, रश्मि रंजन, सुनैना बिहानी और मनोज शाह को नामजद किया गया है।
कानूनी कार्रवाई :
- एफआईआर: वाराणसी की एसीजेएम कोर्ट(ACJM Court) के आदेश पर 19 मार्च 2025 को लंका थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया।
- हाईकोर्ट में याचिका: मनोज शाह ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक की मांग की थी।
- कोर्ट का फैसला: हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि मनोज शाह के पास आवेदन की तिथि तक वैध जीएसटी नंबर नहीं था।
- इसके बावजूद, उन्होंने जीएसटी आवेदन नंबर का उपयोग कर टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया, जो नियमों का उल्लंघन है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए याची के वकील की याचिका वापस लेने की अनुमति को स्वीकार किया।
यह मामला बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में टेंडर प्रक्रिया की पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठाता है। अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों और पल्स डायग्नोस्टिक के निदेशकों के खिलाफ दर्ज एफआईआर ने इस मामले को और गंभीर बना दिया है। पुलिस अब इस मामले में आगे की जांच कर रही है, जिसमें टेंडर प्रक्रिया में शामिल अन्य व्यक्तियों और दस्तावेजों की गहन पड़ताल की जाएगी।
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में डायग्नोस्टिक सेवाओं के टेंडर में कथित फर्जीवाड़े के आरोपी पल्स डायग्नोस्टिक के एमडी मनोज कुमार शाह को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने और एफआईआर रद्द करने की अर्जी को न केवल खारिज कर दिया, बल्कि याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए इसे औपचारिक रूप से भी समाप्त कर दिया।


यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की दो सदस्यीय खंडपीठ ने दिया। यह मामला वाराणसी के लंका थाने में दर्ज उस धोखाधड़ी के मुकदमे से जुड़ा है, जिसमें बीएचयू अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सकों के साथ-साथ पल्स डायग्नोस्टिक के निदेशकों को भी नामजद किया गया है।
मूल रूप से यह विवाद बीएचयू अस्पताल द्वारा 6 अगस्त 2024 को पीपीपी (Public Private Partnership) मॉडल के तहत जारी किए गए एक टेंडर से जुड़ा है। यह टेंडर डायग्नोस्टिक इमेजिंग सेवाओं के संचालन और अन्य चिकित्सा कार्यों के लिए था। शिकायतकर्ता डॉ. उदयभान सिंह ने एफआईआर में गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उक्त टेंडर की शर्तों के अनुसार आवेदन की तिथि तक सभी आवश्यक दस्तावेज और लाइसेंस जैसे कि जीएसटी नंबर होना अनिवार्य था।
आरोप है कि मनोज कुमार शाह ने फर्जी तरीके से जीएसटी आवेदन नंबर का उपयोग करते हुए टेंडर में हिस्सा लिया और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से उसे प्राप्त कर लिया। प्राथमिकी में बीएचयू अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. कैलाश कुमार, डॉ. ए.एन.डी. द्विवेदी, रश्मि रंजन के साथ-साथ सुनैना बिहानी और मनोज शाह को नामजद किया गया है।
इस मामले में वाराणसी की एसीजेएम कोर्ट के आदेश पर लंका थाने में 19 मार्च को एफआईआर दर्ज की गई थी। इसके बाद मनोज शाह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर एफआईआर को रद्द करने और गिरफ्तारी पर रोक की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने याची के तर्कों को खारिज करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है कि याची के पास आवेदन की तिथि तक वैध जीएसटी नंबर मौजूद नहीं था। इसके बावजूद उसने जीएसटी आवेदन नंबर का उपयोग कर टेंडर प्रक्रिया में हिस्सा लिया, जो कि नियमों का उल्लंघन है। इस टिप्पणी के बाद मनोज शाह के अधिवक्ता ने अदालत से याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
