PhonePe: IPO से पहले प्राइवेट से पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनी, नाम भी बदला

बेंगलुरु I दिग्गज फिनटेक कंपनी PhonePe ने अपने प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) की तैयारी में बड़ा कदम उठाते हुए प्राइवेट लिमिटेड कंपनी से पब्लिक लिमिटेड कंपनी में परिवर्तन कर लिया है। कंपनी ने रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (ROC) के पास दाखिल रेगुलेटरी फाइलिंग में बताया कि कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत यह बदलाव IPO की प्रक्रिया के लिए आवश्यक शर्तों में से एक है। इसके साथ ही कंपनी का नाम ‘फोनपे प्राइवेट लिमिटेड’ से बदलकर ‘फोनपे लिमिटेड’ कर दिया गया है।

PhonePe: IPO से पहले प्राइवेट से पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनी, नाम भी बदला PhonePe: IPO से पहले प्राइवेट से पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनी, नाम भी बदला

पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनने की आवश्यकता क्यों?
IPO के माध्यम से कंपनी पहली बार प्राइमरी मार्केट में जनता के लिए अपने शेयर बेचती है। प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को जनता के लिए शेयर जारी करने की अनुमति नहीं होती, जबकि पब्लिक लिमिटेड कंपनी बनने से स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग का रास्ता खुलता है। लिस्टिंग के बाद कंपनी के शेयर जनता के लिए उपलब्ध हो जाते हैं, जिन्हें स्टॉक मार्केट में खरीदा-बेचा जा सकता है। इससे कंपनी आईपीओ के जरिए बड़ी मात्रा में पूंजी जुटा सकती है, जो इसके विस्तार और विकास के लिए उपयोगी होती है।

फरवरी में की थी IPO की घोषणा
वॉलमार्ट समर्थित डिजिटल पेमेंट कंपनी PhonePe ने 20 फरवरी 2025 को IPO लाने की घोषणा की थी। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 25 फरवरी को कंपनी ने अपने आईपीओ के लिए सलाहकार के रूप में कोटक महिंद्रा कैपिटल, जेपी मॉर्गन, सिटी और मॉर्गन स्टेनली को नियुक्त किया था। कंपनी का लक्ष्य इस IPO के जरिए 15 अरब डॉलर तक की वैल्यूएशन हासिल करना है।

सिंगापुर से भारत शिफ्ट होने वाली पहली कंपनी
PhonePe सिंगापुर से अपना कारोबार भारत में स्थानांतरित करने वाली पहली भारतीय कंपनी है। दिसंबर 2022 में इस स्थानांतरण के दौरान कंपनी को भारत सरकार को लगभग 8,000 करोड़ रुपये का टैक्स चुकाना पड़ा था। वर्तमान में कंपनी का मालिकाना हक वॉलमार्ट के पास है।
फंडिंग और वैल्यूएशन

PhonePe के फाउंडर और CEO समीर निगम के नेतृत्व में कंपनी ने 2023 में 1 बिलियन डॉलर के फंडिंग राउंड में 100 मिलियन डॉलर जुटाए थे, जिसका प्री-मनी वैल्यूएशन 12 बिलियन डॉलर था। कंपनी में वॉलमार्ट के अलावा माइक्रोसॉफ्ट, जनरल अटलांटिक, टाइगर ग्लोबल, रिबिट कैपिटल, टीवीएस कैपिटल, टेनसेंट और कतर इन्वेस्ट अथॉरिटी शामिल हैं।

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