Varanasi : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ(Kashi Vidyapith) में डॉ. भीमराव अंबेडकर के 15 दिवसीय जयंती उत्सव के छठवें दिन शनिवार को डॉ. भगवानदास केंद्रीय पुस्तकालय (Dr. Bhagwandas Central Library) के सभागार कक्ष में मौलिक अधिकारों पर एक विशेष व्याख्यान और परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों पर गहन चर्चा हुई, जिसमें प्रोफेसरों, शोध छात्रों और अन्य विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।

कार्यक्रम का विवरण :-
- स्थान: डॉ. भगवानदास केंद्रीय पुस्तकालय, सभागार कक्ष, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ
- आयोजन: डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती उत्सव (15 दिवसीय), छठवां दिन
- विषय: मौलिक अधिकार
- प्रमुख गतिविधियां: व्याख्यान, परिचर्चा और संविधान के मौलिक अधिकारों पर विचार-विमर्श
मुख्य वक्ताओं और उनके विचार
- प्रो. हंसराज (विधि संकाय): भारतीय संविधान में वर्णित मौलिक अधिकारों पर विस्तार से चर्चा की। कहा कि आज का समाज केवल 20% संविधान के आधार पर चल रहा है। यदि समाज 100% संविधान का पालन करता, तो इसकी दशा आज कहीं बेहतर होती।मौलिक अधिकारों के महत्व और उनके प्रभावी कार्यान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया।
- अंशु गुप्ता: अनुच्छेद 14 से 20 पर प्रकाश डाला, जिसमें समानता का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार और अन्य मौलिक अधिकार शामिल हैं। इन अनुच्छेदों के सामाजिक और कानूनी महत्व को समझाया।
- माजिद अंसारी (शोध छात्र): मौलिक अधिकारों और मानव अधिकारों के बीच अंतर पर चर्चा की। संवैधानिक और वैश्विक परिप्रेक्ष्य में इनके दायरे और सीमाओं को स्पष्ट किया।
- अभिषेक मिश्रा (शोध छात्र): सामाजिक परिवर्तन और मौलिक अधिकारों के कार्यान्वयन में परिवर्तन की आवश्यकताओं पर विचार व्यक्त किए। समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए संवैधानिक प्रावधानों के प्रभावी उपयोग पर बल दिया।
- प्रो. आनंद शंकर चौधरी: मौलिक अधिकारों के सैद्धांतिक और व्यावहारिक पहलुओं पर अपने विचार रखे। संविधान के प्रति जागरूकता और इसके मूल्यों को समाज में लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

प्रमुख उपस्थित लोग:
- प्रो. पीताम्बर दास (जयंती उत्सव के नोडल अधिकारी)
- प्रो. आनंद शंकर चौधरी
- प्रो. हंसराज
- डॉ. रविंद्र कुमार गौतम
- अन्य प्रोफेसर, शोध छात्र और कर्मचारी।