Cyber Fraud : दुनिया तेजी से डिजिटल हो रही है, लेकिन इसके साथ-साथ साइबर अपराध (Cyber Fraud) भी खतरनाक रफ्तार से बढ़ रहे हैं। साल 2024 में वैश्विक स्तर पर ₹498 लाख करोड़ की साइबर ठगी हुई, यानी हर सेकंड ₹1.63 करोड़ की चपत दुनिया को लगी। भारत भी इस खतरे से अछूता नहीं है। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट बताती है कि देश में बीते छह वर्षों में साइबर ठगी के मामलों में 42 गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

Cyber Fraud : भारत में 2023 में ₹6 हजार करोड़ की चपत
भारत में साल 2023 में 9.2 लाख से ज्यादा साइबर धोखाधड़ी (Cyber Fraud) की शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें कुल ₹6,000 करोड़ की ठगी हुई। इस साल 2025 के लिए भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने यह आशंका जताई है कि भारत में ₹1.2 लाख करोड़ की साइबर ठगी हो सकती है। यह राशि बिहार के कुल वार्षिक बजट के आधे हिस्से के बराबर है।
Cyber Fraud की रोकथाम में जुटा तंत्र, पर अभी भी चुनौतियां बाकी
सरकार ने इस खतरे (Cyber Fraud) से निपटने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं। 2024 में 24 हजार पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को साइबर अपराध से निपटने की विशेष ट्रेनिंग दी गई। देश के 33 राज्यों में साइबर फोरेंसिक लैब्स स्थापित की जा चुकी हैं। हालांकि, अब भी देश के 37% जिलों में साइबर क्राइम सेल मौजूद नहीं है, जो चिंता का विषय है।

साइबर सुरक्षा पर ₹28 हजार करोड़ का खर्च अनुमानित
साइबर हमलों को रोकने और डिजिटल सिस्टम को सुरक्षित बनाने के लिए भारत में इस साल करीब ₹28 हजार करोड़ खर्च होने का अनुमान है। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक आम जनता को साइबर जागरूकता नहीं दी जाएगी, तब तक ठगी के मामलों में कमी लाना मुश्किल होगा।
साइबर ठगी (Cyber Fraud) अब सिर्फ तकनीकी मसला नहीं रह गया है, यह राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक संरचना और आम नागरिकों के भरोसे से जुड़ा एक बड़ा खतरा बन चुका है। सरकार के साथ-साथ नागरिकों को भी डिजिटल सतर्कता और जागरूकता को अपनी प्राथमिकता में शामिल करना होगा।
