नई दिल्ली I न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने बुधवार को भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) के रूप में पदभार ग्रहण किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। जस्टिस गवई ने न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लिया, जो मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए थे। पिछले महीने 30 अप्रैल को कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई को भारत का 52वां मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की थी। इससे पहले 16 अप्रैल को तत्कालीन CJI संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार को उनके नाम की सिफारिश की थी।
जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा और वह 23 दिसंबर 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।
प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
CJI भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उनके पिता, आर.एस. गवई, एक प्रसिद्ध राजनेता थे, जिन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई गुट) का नेतृत्व किया। वह लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रहे, साथ ही बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल भी थे। उनके भाई, राजेंद्र गवई, भी एक राजनेता हैं। जस्टिस गवई का परिवार डॉ. बी.आर. अंबेडकर से प्रेरित है और बौद्ध धर्म का अनुसरण करता है। उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की।
कानूनी करियर
CJI जस्टिस गवई ने 16 मार्च 1985 को वकालत शुरू की। उन्होंने 1987 तक पूर्व महाधिवक्ता और बॉम्बे हाई कोर्ट के जज, राजा एस. भोंसले के साथ काम किया। 1987 से 1990 तक उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्वतंत्र रूप से वकालत की और बाद में मुख्य रूप से नागपुर पीठ में प्रैक्टिस की। वह संवैधानिक और प्रशासनिक कानून के विशेषज्ञ रहे। 2000 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का स्थायी जज नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 2003 से 2019 तक कार्य किया। 8 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश की, और 2019 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने
महत्वपूर्ण फैसले और योगदान
जस्टिस गवई सामाजिक न्याय से जुड़े कई महत्वपूर्ण फैसलों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने वाला ऐतिहासिक फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि किसी आरोपी या दोषी की संपत्ति को केवल इस आधार पर ध्वस्त करना असंवैधानिक है। वह महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के चांसलर और नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रहे।
मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति
30 अप्रैल 2025 को कानून मंत्रालय ने जस्टिस गवई को भारत का 52वां CJI नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की। पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना ने 16 अप्रैल 2025 को उनके नाम की सिफारिश की थी। जस्टिस गवई, जस्टिस के.जी. बालकृष्णन के बाद सुप्रीम कोर्ट के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं।

CJI गवई का जीवन सामाजिक समानता और न्याय के प्रति समर्पित रहा। उनकी नियुक्ति को अनुसूचित जाति समुदाय के लिए गर्व का क्षण माना जा रहा है। उनके फैसले और नेतृत्व से न्यायपालिका में सामाजिक समावेशिता को और मजबूती मिलने की उम्मीद है।