High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर लगाई रोक, एफआईआर रद्द करने से इनकार

Lucknow : इलाहाबाद हाईकोर्ट(High Court) ने ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। हालांकि, कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी (FIR) को रद्द करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि मामले में निष्पक्ष जांच आवश्यक है। यह फैसला जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने सुनाया।

Allahabad High Court
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मोहम्मद जुबैर ने गाजियाबाद के कवि नगर थाने में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी थी, जो यति नरसिंहानंद सरस्वती ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी द्वारा 3 अक्टूबर 2024 को दायर की गई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया कि जुबैर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स(X) पर यति नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की संपादित वीडियो क्लिप पोस्ट की, जिसमें पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ कथित तौर पर भड़काऊ टिप्पणियां थीं। शिकायत के अनुसार, इस पोस्ट का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय में नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसक प्रतिक्रियाएं भड़काना था।

जुबैर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य बढ़ाना), 228 (झूठे साक्ष्य गढ़ना), 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए दुर्भावनापूर्ण कार्य), 351(2) (आपराधिक धमकी) और 356(3) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके अतिरिक्त, उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में दावा किया कि जुबैर की पोस्ट ने भारत की संप्रभुता और एकता को खतरे में डाला, जिसके लिए धारा 152 को भी शामिल किया गया।

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जुबैर ने अपनी याचिका में तर्क दिया कि उनके एक्स पोस्ट में हिंसा का कोई आह्वान नहीं था। उन्होंने केवल यति नरसिंहानंद के कथित अपमानजनक भाषण को उजागर कर पुलिस से कानूनी कार्रवाई की मांग की थी। उन्होंने दावा किया कि एफआईआर उनके पत्रकारीय कार्यों को रोकने का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयास है। कोर्ट ने 3 मार्च 2025 को सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था और अब चार्जशीट दाखिल होने तक जुबैर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है।

हाईकोर्ट ने कहा कि मामले की निष्पक्ष जांच जरूरी है ताकि तथ्यों की पूरी पड़ताल हो सके। इससे पहले, कोर्ट ने 20 दिसंबर 2024 को जुबैर की गिरफ्तारी पर अंतरिम रोक लगाई थी, जिसे बाद में 6 जनवरी, 27 जनवरी, और 18 फरवरी तक बढ़ाया गया।

इस मामले में यति नरसिंहानंद के खिलाफ भी उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना में सांप्रदायिक नफरत फैलाने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए कई एफआईआर दर्ज हैं। उनके समर्थकों का दावा है कि जुबैर की पोस्ट ने दासना देवी मंदिर में हिंसक प्रदर्शनों को भड़काया, जिसके लिए उन्होंने जुबैर, मौलाना अरशद मदनी, और असदुद्दीन ओवैसी को जिम्मेदार ठहराया।

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High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर लगाई रोक, एफआईआर रद्द करने से इनकार High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर लगाई रोक, एफआईआर रद्द करने से इनकार

यह फैसला जम्मू-कश्मीर में हाल के घटनाक्रमों के बीच आया है, जहां तृणमूल कांग्रेस ने राज्य का दर्जा बहाल करने और स्थानीय सरकार को सशक्त करने की मांग की है।

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