लखनऊ। उत्तर प्रदेश (UP) में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो गई हैं। पंचायतीराज विभाग और ग्राम्य विकास विभाग ने प्रदेशभर में पंचायतों और ब्लॉकों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस बार प्रदेश में करीब 500 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया जाएगा, जिससे 500 नए ग्राम प्रधान चुने जाएंगे। साथ ही 75 नए ब्लॉक बनाने की योजना है, जिससे प्रदेश में ब्लॉक की संख्या 826 से बढ़कर 901 हो जाएगी और 75 नए नेताओं को ब्लॉक प्रमुख बनने का मौका मिलेगा।
पुनर्गठन का आधार
UP पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, एक ग्राम पंचायत में कम से कम एक हजार की आबादी होनी चाहिए। वर्तमान में कई ग्राम पंचायतों की आबादी तीन-चार हजार से ज्यादा है। इसलिए बड़ी पंचायतों को अलग कर नई ग्राम पंचायत बनाई जाएगी।
राजनीतिक गणित भी अहम
सूत्रों का कहना है कि पंचायतों और ब्लॉकों के पुनर्गठन में राजनीतिक समीकरणों का भी ध्यान रखा जा रहा है। सत्तारूढ़ भाजपा सहित अन्य दलों के विधायक अपनी-अपनी पसंद के हिसाब से पंचायतों के पुनर्गठन की मांग कर रहे हैं। कोशिश की जा रही है कि विपक्ष के वोट बैंक को किसी एक इलाके में प्रभावी न होने दिया जाए। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि पंचायत चुनाव को 2027 के UP विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है, इसलिए पुनर्गठन में सत्ता पक्ष का पूरा ध्यान राजनीतिक लाभ पर है।
आर्थिक भार नहीं बढ़ेगा

पंचायतीराज विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नई पंचायतों के गठन से सरकार पर ज्यादा वित्तीय भार नहीं पड़ेगा, क्योंकि 2022 में 495 ग्राम पंचायतें समाप्त की गई थीं, जिनके पद पहले से स्वीकृत हैं।
चुनाव की प्रक्रिया
2026 की पहली तिमाही में UP पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी। पहले चरण में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत वार्ड मेंबर, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य का चुनाव होगा। दूसरे चरण में ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे।
राजनीतिक दांव-पेंच, जातीय समीकरण और स्थानीय प्रभाव इस बार के पंचायत चुनाव को और दिलचस्प बना देंगे। देखना होगा कि सत्ता पक्ष अपनी रणनीति में कितना सफल होता है और विपक्ष किस तरह मुकाबला करता है।