RBI: केंद्र सरकार को RBI देगा 2.69 लाख करोड़ का Dividend

मिथिलेश कुमार पाण्डेय (लेखक आर्थिक विश्लेषक एवं पूर्व सहायक महाप्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा हैं)

RBI: अभी भारत के आर्थिक गलियारे में सर्वत्र चर्चा है कि भारतीय रिजर्व बैंक वित्त वर्ष 2024-2025 के लिए सर्वकालिक उच्च लाभांश (2,69,000 करोड़ रुपये ) भारत सरकार को देगा जो कि सरकार की उम्मीद से भी ज्यादा है l निश्चित रूप से रिजर्व बैंक से मिलनेवाली इतनी बड़ी रकम भारत सरकार के राजकोष में महत्वपूर्ण योगदान करेगा जिससे सरकार को राजकोषीय घाटे के प्रबंधन में सहयोग मिलेगा l

01 अप्रैल 1935 को गठित और 01 जनवरी 1949 को राष्ट्रीयकृत रिजर्व बैंक भारत (RBI) सरकार की एकल पूर्ण स्वामित्व वाली संस्था है और तदनुसार इससे होनेवाले लाभ पर सरकार का पूरा हक है और रिजर्व बैंक लाभांश का भुगतान करता भी रहा है l
उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2005-06 से लेकर 2024 – 2025 तक रिजर्व बैंक द्वारा दिए गए लाभांश क्रमशः 5400, 8000, 15011, 25009, 18759, 15009, 16010, 33110, 52679, 65869, 65876, 30659, 50000, 176051, 57128, 99122, 30307,87416, 2,10,874 और 2,69,000 करोड़ रुपये है l

इस मुद्दे को समझने और कुछ निष्कर्ष निकालने के उद्देश्य से पिछले 20 वर्षों के आँकड़े प्रस्तुत किए गए हैं l बिना किसी राजनीतिक रुझान के हमें ये देखना है कि शुरू के 10 वर्ष UPA के नेतृत्ववाली तथा बाद के 10 वर्ष NDA के नेतृत्ववाली सरकार के हैं l

अब हमलोग रिजर्व बैंक (RBI) के कार्य प्रणाली को जानकार यह समझने की कोशिश करते हैं कि यह लाभ कमाता कैसे है l रिजर्व बैंक प्रत्यक्ष रूप से आम जनता के साथ कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं करता है l यह न तो व्यक्तियों या संस्थाओं से जमा लेता है और न ही किसी को ऋण देता है l यह देश के सारे बैंक और गैर वित्तीय संस्थायो का नियंत्रक है l देश के बैंकिंग की दिशा और दशा निर्धारित करने की जिम्मेदारी रिजर्व बैंक की है l इसके द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर देश की बैंकिंग व्यवस्था चलती है l

देश के बैंकिंग का नीति नियंता, विदेशी मुद्रा भंडार का अभिरक्षक के साथ साथ इसे बँकों के बैंक के रूप में जाना जाता है l विदेशी मुद्रा के लेनदेन से लाभ, प्रतिभूति ( विदेशी और घरेलू ) से व्याज आय तथा शुल्क और दंड रिजर्व बैंक (RBI) के आय के श्रोत हैं l वित्त वर्ष 2023-24 में रिजर्व बैंक की कुल आय 2,75,572 करोड़ रुपये और व्यय 64,694 करोड़ रुपये थी जो कि वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 3,38,308 करोड़ रुपये और 69,714 करोड़ रुपये क्रमशः हो गई l इस तरह वित्त वर्ष 2023-24 में रिजर्व बैंक (RBI) को 2,10,878 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2024-25 में 2,68,594 करोड़ रुपये का लाभ हुआ l यही लाभ की रकम केंद्र सरकार को रिजर्व बैंक की तरफ से लाभांश के रूप में दिया जाएगा l

Ad 1

सन 2018 तक लाभांश ट्रांसफर करने की कोई नीतिगत पारदर्शी व्यवस्था नहीं थी जिसके कारण तत्कालीन विवेकानुसार सरकार को लाभांश दिया जाता था l याद होगा कि 2018 में, जब ऊर्जित पटेल रिजर्व बैंक के Governer थे उस समय केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक (RBI) के बीच लाभांश भुगतान के मुद्दे पर मतभेद था l सरकार चाहती थी कि रिजर्व बैंक का Surplus केंद्र को दे दिया जाय जिसके लिए रिजर्व बैंक तैयार नहीं था l

ऊर्जित पटेल जो कि एक विद्वान अर्थशास्त्री हैं और सन 2013 से 2016 तक रिजर्व बैंक में Deputy Governer थे और रघुराम राजन के कार्यकाल के बाद Governer बने, रिजर्व बैंक (RBI) की संस्थागत स्वायतता के हिमायती थे l ऊर्जित पटेल ने अपना कार्यकाल पूरा होने के पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था l इस्तीफे का कारण तो उन्होंने व्यक्तिगत बताया था परंतु यह मन जाता है कि शायद केंद्र सरकार से मतभेद उनके इस्तीफे का कारण था l

सरकार और रिजर्व बैंक (RBI) के बीच इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए यह जरूरी समझ गया कि कोई स्पष्ट और पारदर्शी नीति तैयार की जाय और सन 2019 में रिजर्व बैंक के पूर्व Governer विमल जालान के नेतृत्व में एक कमिटी का गठन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य Economic Capital Framework सुझाना था l विमल जालान समिति का लक्ष्य था कि वह यह बताए कि रिजर्व बैंक की पूंजी सीमा क्या हो और कितना लाभांश सरकार को ट्रैन्स्फर किया जाय और इस पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और नियमबद्ध किया जाय l

विमल जालान समिति के अनुशंसा के अनुसार यह तय हुआ कि रिजर्व बैंक अपने Balance Sheet का 5.5% से 6.5% हिस्सा Risk Buffer के रूप में रखेगा जो कि किसी अप्रत्याशीत जोखिम के समय काम आये l वास्तविक आय ( Realised Income) को ही लाभांश के लिए अनुमोदित किया जाय l कागजी आमदनी ( Accured Income) को लाभांश की गणना में शामिल नहीं किया जाय और जरूरी रिजर्व को अपने पास रखकर शेष राशि सरकार को लाभांश के रूप मे दिया जा सकता है l

विमल जालान समिति के रिपोर्ट को 2018-19 से लागू कर दिया गया और उसी वर्ष में सरकार को 1,76,000 करोड़ रुपये लाभांश के रूप में मिले और तदुपरांत इसी नीति के तहत सरकार को लाभांश पारदर्शी तरीके से मिलता आ रहा है l अब रिजर्व बैंक की स्वतंत्रता और वित्तीय स्थिरता को अक्षुण्ण रखते हुए सरकार को राजकोषीय सहायता प्राप्त होती है l

पिछले वित्त वर्ष में सर्वाधिक लाभ अर्जित करने में विदेशी मुद्रा बाजार के कारोबार और निवेश पर मिलने वाला उच्च व्याजदर का उल्लेखनीय योगदान रहा है l इस दौरान डॉलर – रुपये विनिमय दर में काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला है l डॉलर के मुकाबले रुपये के मूल्य को स्थिरता प्रदान करने और निर्यातक,आयातक और निवेशकों के विश्वास को मजबूत करने के लिए रिजर्व बैंक (RBI) विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर खरीदता और बेचता है जिससे लाभ होता है l

Ad 2

वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान विदेशी मुद्रा के कारोबार से रिजर्व बैंक (RBI) को 1,11,000 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है l रिजर्व बैंक देश के अर्थतंत्र के बहुत बड़े हिस्से का नियंत्रक और पथ प्रदर्शक है l देश के घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय कारोबार का असर रिजर्व बैंक पर भी पड़ता है l गतिशील और प्रगतिशील अर्थव्यवस्था समाज के सभी व्यक्ति और संस्था के लिए अनुकूल अवसर प्रदान करता है जिसमे रिजर्व बैंक भी शामिल है l

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *