New Delhi : भारत में बहुप्रतीक्षित 16वीं जनगणना (Caste Census) 1 मार्च 2027 से शुरू होगी, जो दो चरणों में आयोजित की जाएगी। इस जनगणना में पहली बार 1931 के बाद जाति आधारित आँकड़े भी एकत्र किए जाएँगे। सूत्रों के अनुसार, पहाड़ी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों—लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जनगणना का पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा। दूसरा चरण, जिसमें शेष सभी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश शामिल होंगे, 1 मार्च 2027 से शुरू होगा।

जनगणना का महत्व
जनगणना के दौरान सामाजिक, जनसांख्यिकीय, सांस्कृतिक और आर्थिक आँकड़े एकत्र किए जाएँगे, जिनमें आयु, वैवाहिक स्थिति, धर्म, अनुसूचित जाति/जनजाति, मातृभाषा, शिक्षा स्तर, आर्थिक गतिविधियाँ और प्रवास जैसे विवरण शामिल होंगे। यह डेटा नीति निर्माण, विकास परियोजनाओं, और संसाधन आवंटन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जाति जनगणना से अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) सहित विभिन्न सामाजिक समूहों की सटीक जनसंख्या और सामाजिक-आर्थिक स्थिति का पता चलेगा, जिससे समावेशी नीतियाँ बनाने में मदद मिलेगी।

जाति जनगणना का ऐतिहासिक संदर्भ
भारत में 1881 से 1931 तक ब्रिटिश शासन के दौरान नियमित जाति गणना होती थी। 1951 की पहली स्वतंत्र जनगणना में इसे बंद कर दिया गया, और केवल अनुसूचित जाति (SC) व अनुसूचित जनजाति (ST) के आँकड़े ही एकत्र किए गए। 2011 में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) आयोजित की गई थी, लेकिन इसके आँकड़े पूरी तरह उपयोग नहीं किए गए। 30 अप्रैल 2025 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आगामी जनगणना में जाति आधारांकन को शामिल करने का निर्णय लिया, जिसे केंद्रीय मंत्रियों अजयिनी वैष्णव और अमित शाह ने ऐतिहासिक कदम बताया।

दो चरणों में होगी प्रक्रिया

- पहला चरण (1 अक्टूबर 2026) : बर्फीले और पहाड़ी क्षेत्रों—लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश—में शुरू होगा। यहाँ हाउस लिस्टिंग और जनसंख्या गणना एक साथ होगी। संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर 2026 होगी।
- दूसरा चरण (1 मार्च 2027) : शेष भारत में हाउस लिस्टिंग के बाद जनसंख्या गणना होगी, जिसमें 6-8 महीने का अंतराल होगा। संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 होगी।
- जनगणना दो चरणों में होगी : हाउस लिस्टिंग (घरों और आवास की गणना) और जनसंख्या गणना (व व्यक्तिगत विवरण)। 3.3 मिलियन गणनाकारों को शामिल किया जाएगा, जो स्मार्टफोन और एक विशेष मोबाइल ऐप के माध्यम से डेटा एकत्र करेंगे। लोग स्वयं भी एक ऑनलाइन पोर्टल में अपने विवरण दर्ज कर सकेंगे। यह भारत को डिजिटल जनगणना में वियतनाम और इस्वातिनी जैसे देशों की श्रेणी में लाएगा।
1 मार्च 2027 से शुरू होने वाली जनगणना और जाति जनगणना भारत के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को नया आकार दे सकती है। यह लंबे समय से चली आ रही माँग को पूरा करेगी और नीति निर्माण को अधिक समावेशी बनाएगी। हालांकि, डेटा की जटिलता और राजनीतिक संवेदनशीलता इसे एक चुनौतीपूर्ण कार्य बनाती है।
