Rahul Gandhi : लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने एक बार फिर चुनाव आयोग (ECI) पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने आरोप लगाया कि आयोग ने उनके “चुनाव में धांधली” संबंधी सवालों का जवाब देने से बचने की कोशिश की है और उन्हें टालने वाला रवैया अपनाया है।
शनिवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक पोस्ट में कांग्रेस नेता ने लिखा, “डियर इलेक्शन कमीशन, आप एक संवैधानिक संस्था हैं। लेकिन बिचौलियों के जरिये बिना हस्ताक्षर वाले और गोलमोल जवाब देना गंभीर सवालों से बचने का तरीका नहीं हो सकता। अगर आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है तो मेरे उठाए सवालों के जवाब सार्वजनिक कीजिए।”
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से विशेष रूप से दो चीजें मांगीं:
- डिजिटल, मशीन से पढ़ी जा सकने वाली वोटर लिस्ट को सार्वजनिक किया जाए, जिसमें महाराष्ट्र सहित सभी राज्यों के लोकसभा और विधानसभा चुनावों की एकीकृत जानकारी हो।
- महाराष्ट्र के मतदान केंद्रों के शाम 5 बजे के बाद के CCTV फुटेज को सार्वजनिक किया जाए, ताकि मतदान में पारदर्शिता की पुष्टि हो सके।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने आरोप लगाया कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एक “मैच फिक्सिंग” का ब्लूप्रिंट था और अब वही मॉडल बिहार जैसे राज्यों में दोहराया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस कथित साजिश के पांच चरण थे:
- चुनाव आयोग की नियुक्ति प्रक्रिया को कब्जे में लेना।
- वोटर लिस्ट में फर्जी नाम जोड़ना।
- मतदान प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना।
- चुनिंदा क्षेत्रों में फर्जी वोटिंग कराना।
- फिर सबूतों को छिपा देना।
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) का कहना है कि ऐसी धांधली लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है। उन्होंने जनता से भी अपील की कि वे खुद तथ्यों को देखें और सच्चाई की मांग करें।

चुनाव आयोग का जवाब
राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि यह एक “बेबुनियाद आरोप” है और इसका मकसद आयोग की साख पर सवाल उठाना है।
आयोग के अनुसार, महाराष्ट्र में 6.4 करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया, जिनमें से अंतिम दो घंटों में करीब 1.16 करोड़ लोगों ने वोट डाले। आयोग ने बताया कि वोटिंग प्रक्रिया हर केंद्र पर राजनीतिक दलों के अधिकृत एजेंटों की मौजूदगी में हुई।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदाता सूचियां पूरी तरह से जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अंतर्गत बनाई जाती हैं। महाराष्ट्र चुनाव के दौरान केवल 89 अपीलें जिला स्तर पर और 1 अपील राज्य स्तर पर दर्ज की गई थी, जिससे यह साफ है कि किसी दल ने पहले कोई गंभीर आपत्ति नहीं जताई थी।