Lucknow : उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता और खंड प्रमुख आलोक सिंह के खिलाफ लखनऊ विश्वविद्यालय के दलित शोधार्थी दीपक कन्नौजिया की शिकायत पर उभांव थाने में सोमवार देर रात प्राथमिकी दर्ज की गई। दीपक, तुर्तीपार गांव के निवासी, उन्होंने आरोप लगाया कि आलोक सिंह ने 20 मई को उन्हें फोन पर गाली-गलौज कर मानसिक रूप से प्रताड़ित किया और जान से मारने की धमकी दी। आलोक सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे और राज्यसभा सांसद नीरज शेखर के करीबी रिश्तेदार हैं।
मामले का विवरण
- शिकायत: दीपक कन्नौजिया ने बताया कि 20 मई को आलोक सिंह ने उन्हें कॉल कर अपशब्द कहे, मानसिक रूप से परेशान किया, और हत्या की धमकी दी। शिकायत के अनुसार, आलोक ने कहा कि इस बातचीत को रिकॉर्ड कर लो, मैं यूपी के प्रशासन या कानून-व्यवस्था से नहीं डरता।
- पुरानी दुश्मनी: दीपक ने दावा किया कि आलोक सिंह और उनके परिवार के बीच लंबे समय से राजनीतिक दुश्मनी है। उन्होंने आरोप लगाया कि बार-बार प्रताड़ना के कारण उनके पिता कमलेश कन्नौजिया की 31 अक्टूबर 2024 को दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई।
- माँ की सुरक्षा की चिंता: दीपक ने आशंका जताई कि आलोक सिंह उनकी माँ, जो गाँव में अकेली रहती हैं, की हत्या करवा सकते हैं।

पुलिस कार्रवाई
- FIR: पुलिस अधीक्षक (SP) ओमवीर सिंह ने बताया कि एक ऑडियो क्लिप, जिसमें कथित तौर पर आलोक सिंह की धमकी भरी बातचीत थी, हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुई। रसड़ा सर्किल ऑफिसर आलोक गुप्ता की प्रारंभिक जाँच के बाद उभांव थाने में भारतीय नवसंगठन संहिता (BNS) की धारा 352 (जानबूझकर अपमान) और 351(3) (आपराधिक धमकी) के तहत FIR दर्ज की गई। SC/ST (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएँ भी जोड़ी गई हैं।
- जाँच: SP ने कहा कि मामले की गहन जाँच की जा रही है, और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।
बीजेपी की पुष्टि
बिल्थरा रोड क्षेत्र के बीजेपी अध्यक्ष अरुण कांत तिवारी ने पुष्टि की कि आलोक सिंह पार्टी से जुड़े हैं और नीरज शेखर के करीबी रिश्तेदार हैं। हालांकि, बीजेपी ने अभी तक आलोक सिंह के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की घोषणा नहीं की है।
कानूनी और सामाजिक प्रभाव
- कानूनी कार्रवाई: पुलिस ने आलोक सिंह के खिलाफ गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया है। यदि दोषी पाए गए, तो उन्हें जेल और जुर्माना हो सकता है। SC/ST अधिनियम के तहत सजा और सख्त हो सकती है।
- सामाजिक तनाव: यह मामला बलिया में सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है, खासकर दलित समुदाय और बीजेपी समर्थकों के बीच।
- राजनीतिक नुकसान: 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए यह मामला चुनौती बन सकता है, क्योंकि विपक्ष इसे दलित-विरोधी रुख के रूप में पेश कर रहा है।

आलोक सिंह पर लगे आरोप गंभीर हैं और दलित समुदाय के प्रति संवेदनशीलता के अभाव को उजागर करते हैं। यह मामला न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।