Lucknow : चंदौली जिले के बलुआ थाना क्षेत्र के अमिलाई गाँव (Chandauli Amilai Murder Case) में 1 जून 2022 को नर्तकी के नाच के दौरान हुए विवाद में गैर इरादतन हत्या के मामले में अपर जिला जज (प्रथम) अशोक कुमार की अदालत ने पाँच आरोपितों—वीरेंद्र कुमार हरिजन, अनिल उर्फ हिरन, छांगुर हरिजन, मंटू उर्फ शशिकांत और अजीत—को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया। बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव, संदीप यादव और नितेश सिंह ने प्रभावी पैरवी की।
मामले का विवरण
- प्राथमिकी: अभियोजन पक्ष के अनुसार, अमिलाई निवासी फिरेश पासवान ने बलुआ थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। उनके भतीजे जुगेश पासवान के तिलक समारोह में 1 जून 2022 की रात को मनोरंजन के लिए नर्तकी का नाच आयोजित किया गया था। इस दौरान हरिजन बस्ती के कुछ युवकों ने नाच देखने को लेकर विवाद शुरू कर दिया।
- आरोप: फिरेश के अनुसार, जब उन्होंने विवाद करने वाले युवकों को मना किया, तो वीरेंद्र, छांगुर, हिरन, मंटू और अजीत ने एकजुट होकर लाठी-डंडे और रॉड से उनके घर पर हमला कर दिया। हमलावरों ने फिरेश और उनके परिवार वालों को पीटा। बीच-बचाव के लिए आईं फिरेश की माँ राधिका देवी को धक्का दिया गया, जिससे उनके सिर में चोट लगी और मौके पर उनकी मृत्यु हो गई।
- अन्य घायल: हमले में कन्हैया चौकीदार, बनारसी पासवान, अमरदेव पासवान और बहादुर पासवान गंभीर रूप से घायल हो गए। हमलावरों ने एक गाड़ी के शीशे भी तोड़ दिए।
- पुलिस कार्रवाई: सूचना पर पहुँची पुलिस ने राधिका देवी के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा और घायलों को चंदौली जिला अस्पताल में भर्ती कराया।

अदालती कार्यवाही
- गवाह और साक्ष्य: विचारण के दौरान अभियोजन पक्ष ने कुल 9 गवाह पेश किए। हालांकि, अदालत ने गवाहों के बयानों और पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्यों को अपर्याप्त पाया।
- बचाव पक्ष की दलील: अधिवक्ता अनुज यादव और उनकी सहायता के लिए नेहरू ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने आरोपितों के खिलाफ ठोस सबूत पेश नहीं किए। गवाहों के बयानों में विरोधाभास थे और घटना को गैर इरादतन हत्या साबित करने में कमी रही।
- निर्णय: कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव और गवाहों के बयानों में संदिग्धता के आधार पर सभी आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।
चंदौली कोर्ट के इस फैसले ने पाँच आरोपितों को राहत दी है, लेकिन यह मामला सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण से संवेदनशील बना हुआ है। अभियोजन पक्ष के पास अपील का विकल्प खुला है और यह देखना होगा कि क्या वे उच्च न्यायालय में इस फैसले को चुनौती देंगे।