BLW में जल संरक्षण की बड़ी पहल, “कैच द रेन” अभियान के तहत बनाए जाएंगे 150 रेन वाटर हार्वेस्टिंग बोरवेल

Varanasi : बनारस रेल इंजन कारखाना (BLW) ने पर्यावरण संरक्षण और जल संरक्षण के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “कैच द रेन” अभियान के तहत बरेका ने परिसर में 150 वर्षा जल संचयन बोरवेल निर्माण का लक्ष्य रखा है, जो भूजल स्तर को सुधारने और जल संकट से निपटने की दिशा में एक सशक्त पहल है। यह अभियान बरेका को देश के सार्वजनिक उपक्रमों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बनाता है।

वर्षा जल संचयन अभियान का विवरण

  • लक्ष्य: बरेका परिसर में 150 बोरवेल निर्माण के माध्यम से वर्षा जल संचयन।
  • प्रथम चरण:
    • 41 बोरवेल की योजना, जिनमें से 33 पूर्ण हो चुके हैं।
    • शेष बोरवेल का कार्य प्रगति पर है और शीघ्र पूरा होगा।
  • अनुमानित प्रभाव:
    • प्रति वर्ष 280 मिलियन लीटर वर्षा जल का संचयन।
    • बरेका परिसर का भूजल स्तर उल्लेखनीय रूप से सुधरेगा।
  • रिचार्ज कुएँ:
    • 43 रिचार्ज कुओं का निर्माण, जिसमें 10 गहरे रिचार्ज कुएँ शामिल हैं।
    • ये कुएँ वर्षा जल को भूगर्भ में समाहित कर जल भंडार को समृद्ध करेंगे।
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प्रमुख विशेषताएँ

  • प्रधानमंत्री का संदेश: “जहाँ भी जल गिरे, उसे संजोएँ” (Catch the Rain, Where it Falls, When it Falls) के तहत बरेका की यह पहल हरित और जल-संपन्न भारत के निर्माण में योगदान दे रही है।
  • नेतृत्व: बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह के मार्गदर्शन में यह अभियान तेजी से प्रगति कर रहा है।
  • उद्देश्य:
    • जल संरक्षण और भूजल स्तर को संतुलित करना।
    • भविष्य की पीढ़ियों को जल संकट से बचाना।
    • ‘हरित बरेका – स्वच्छ बरेका’ के विजन को साकार करना।

जल शुद्धिकरण में बरेका की अग्रणी भूमिका

बरेका ने जल शुद्धिकरण के क्षेत्र में भी अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है:

  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP):
    • 12 MLD (मिलियन लीटर प्रतिदिन) क्षमता।
    • मानव अपशिष्ट जल को शुद्ध करने के लिए 1980 के दशक से संचालित।
  • इंडस्ट्रियल एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ETP):
    • औद्योगिक अपशिष्ट, विशेषकर पेट्रोलियम और लुब्रिकेंट्स, को शुद्ध करने के लिए।
  • गंगा संरक्षण: बरेका से कोई भी सीवेज (उपचारित या अनुपचारित) गंगा नदी में नहीं छोड़ा जाता, जो इसे पर्यावरणीय उत्तरदायित्व में अग्रणी बनाता है।
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चुनौतियाँ और भविष्य

  • चुनौतियाँ:
    • बोरवेल निर्माण में तकनीकी और वित्तीय बाधाएँ।
    • शहरी क्षेत्रों में खुले क्षेत्रों की कमी, जैसा कि वाराणसी जैसे घने शहरों में देखा जाता है।
  • भविष्य की योजना:
    • शेष 117 बोरवेल (150 में से) का निर्माण।
    • और अधिक रिचार्ज कुओं और जल शोधन संयंत्रों का विस्तार।
    • सामुदायिक जागरूकता और सहभागिता को बढ़ावा देना।

बरेका का 150 बोरवेल निर्माण और 43 रिचार्ज कुओं की पहल वाराणसी और भारत के लिए जल संरक्षण की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। 280 मिलियन लीटर जल संचयन का अनुमान और गंगा संरक्षण में योगदान बरेका को पर्यावरण संरक्षण का अग्रदूत बनाता है।

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