Rope-way project: वाराणसी में रोपवे निर्माण पर लगी रोक: टॉवर 29 की खुदाई में निकला शाही नाला, प्रशासन में मचा हड़कंप

वाराणसी I प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट, वाराणसी में बन रहे देश के पहले शहरी Rope-way के निर्माण कार्य में गोदौलिया के पास बड़ा संकट खड़ा हो गया है। टावर नंबर 29 के निर्माण के दौरान शाही नाला (घोड़ा नाला) उजागर होने से काम रोक दिया गया है। नगर निगम और जलकल विभाग की लापरवाही सामने आने के बाद हड़कंप मच गया है, क्योंकि इस नाले की जानकारी निर्माण एजेंसी को पहले नहीं दी गई थी।

शाही नाला उजागर होने से मचा हंगामा
कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया तक 3.8 किलोमीटर लंबे Rope-way प्रोजेक्ट के तहत गोदौलिया के दूध सट्टी क्षेत्र में टावर नंबर 29 की पाइलिंग का काम चल रहा था। इस दौरान एक नाली की बाउंड्री टूट गई, और उसमें से सीवर का पानी बहने लगा। जांच में पता चला कि यह शाही नाले का हिस्सा है। इस खुलासे के बाद निर्माण एजेंसी नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) ने तत्काल काम रोक दिया और जिला प्रशासन को सूचना दी।

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जिलाधिकारी के निर्देश पर एडीएम सिटी आलोक वर्मा, नगर आयुक्त अक्षत वर्मा और जलकल विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए आसपास की दुकानों और मकानों को खाली कराने के लिए नोटिस जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विशेष रूप से Rope-way टावर के पास मौजूद एक छह मंजिला होटल और रेस्टोरेंट को सबसे अधिक खतरा है, जो शाही नाले के ऊपर ही बना है।

नगर निगम-जलकल पर लापरवाही का आरोप
Rope-way निर्माण एजेंसी ने नगर निगम और जलकल विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एजेंसी का कहना है कि उन्हें शाही नाले की मौजूदगी की कोई जानकारी नहीं दी गई। यदि पहले से यह पता होता, तो निर्माण के लिए यह स्थान चुना ही नहीं जाता। निर्माण से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि जलकल विभाग को भी शाही नाले का सटीक मार्ग और इसके ऊपर बने निर्माणों की जानकारी नहीं है। नाले से संबंधित कोई नक्शा या मैप भी उपलब्ध नहीं कराया गया। इस लापरवाही के कारण भविष्य में बड़ा हादसा हो सकता था, क्योंकि हैवी मशीनों के कंपन से नाले के ऊपर बने मकान और दुकानें क्षतिग्रस्त हो सकती थीं।

जलकल ने मांगा एक सप्ताह का समय
जलकल विभाग ने क्षतिग्रस्त नाले की मरम्मत और शाही नाले का मैप उपलब्ध कराने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा है। हालांकि, अधिकारियों ने स्वीकार किया कि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि शाही नाला कहां-कहां से गुजरता है और इसके ऊपर कितने अवैध निर्माण हो चुके हैं। इस बीच, नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने कहा कि शाही नाले के कारण आसपास के मकानों और दुकानों को खतरा बढ़ गया है। इन्हें खाली कराने के लिए नोटिस जारी किए जाएंगे और कुछ मकानों को सील भी किया जा सकता है।

रोप-वे निर्माण का भविष्य अनिश्चित
Rope-way प्रोजेक्ट में अब निर्माण स्थल को थोड़ा हटाकर काम करने की योजना बनाई जा रही है, ताकि शाही नाले को और नुकसान न पहुंचे। एजेंसी ने पाइलिंग का काम पूरी तरह रोक दिया है, क्योंकि मशीनों के कंपन से आसपास के निर्माणों को खतरा है। यह प्रोजेक्ट पहले ही सुप्रीम कोर्ट में भूमि अधिग्रहण विवाद के कारण रुकावटों का सामना कर चुका है। अब शाही नाले का मुद्दा इसे और जटिल बना रहा है।

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Rope-way प्रोजेक्ट का विवरण
644.49 करोड़ रुपये की लागत वाला यह रोप-वे वाराणसी में कैंट रेलवे स्टेशन से गोदौलिया तक बनाया जा रहा है, जिसमें पांच स्टेशन (कैंट, भारत माता मंदिर, रथयात्रा, गिरजाघर, और गोदौलिया) होंगे। यह देश का पहला शहरी पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोप-वे है, जो 16 मिनट में 3.8 किलोमीटर की दूरी तय करेगा। 150 गोंडोला 45-50 मीटर की ऊंचाई पर चलेंगे, और हर डेढ़ मिनट में एक गोंडोला उपलब्ध होगी। इसका उद्देश्य काशी विश्वनाथ मंदिर और दशाश्वमेध घाट आने वाले पर्यटकों और स्थानीय लोगों को जाम से राहत देना है।

स्थानीय लोगों में आक्रोश
गोदौलिया में सड़क खुदाई और Rope-way निर्माण कार्य से पहले ही दुकानदार और स्थानीय लोग परेशान थे। अब शाही नाले के मुद्दे ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। कुछ दुकानदारों ने निर्माण कार्य की लापरवाही के खिलाफ विरोध भी जताया है।

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