Panda Bonds: क्या चीन की मुद्रा (RMB) USD को दे पाएगा चुनौती

Panda Bonds: चीन अब निश्चित ही आर्थिक और सामरिक महाशक्ति के रूप में स्थापित हो चुका है l वैश्विक भूराजनीतिक चर्चा चीन के बिना अधूरी रहेगी l बहुध्रुवीय विश्व में चीन एक सशक्त स्थान रखता है और अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देने की स्थिति में है l

डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा शुरू की गई टैरिफ युद्ध में जब ज्यादातर देश समझौतावादी रुख अपनाकर अमेरिका से वार्ता को इक्छुक दिखे तब चीन ने “जैसे को तैसा’ वाला सिद्धांत को अपनाते हुए अमेरिका की नीतियों का मूहतोड़ जवाब देते हुए ट्रम्प प्रसाशन को नरम रुख अपनाने को मजबूर किया l मजबूत चीनी अर्थव्यवस्था जिसमें निर्माण और निर्यात का अद्भुत योगदान है, के अलावा आधुनिक और दक्ष सैन्य शक्ति ने चीन को विश्व में शिखर तक पहुचने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है l

अर्थव्यवस्था के सभी पैमानों, वैश्विक कूटनीति और सामरिक शक्ति के मामले में चीन अमेरिका को जबरदस्त टक्कर दे रहा है परंतु चीन की मुद्रा (RMB) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले कुछ कमजोर स्थिति में पाया जाता है l डॉलर के अंतर्राष्ट्रीय महत्व को कम करने के लिए विभिन्न स्तरों पर कुछ न कुछ प्रयास विभिन्न देशों और संगठनों के द्वारा किया जा रहा है, परंतु डॉलर की श्रेष्ठता अभी भी बरकरार है l इस लेख के माध्यम से हमलोग यह जानने की कोशिश करेंगे कि क्या RMB अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को कम कर पाएगा l यदि हाँ, तो उसकी वर्तमान स्थिति क्या है और अभीष्ट लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए क्या कदम उठाने पड़ेंगे l

ऐतिहासिक रूप से अमेरिकी डॉलर अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए पहली पसंद रही है और आज भी है l आज भी लगभग 50% विश्व व्यापार USD में होते हैं। विदेशी लेनदेन में 88% हिस्सेदारी USD की है, विदेशी मुद्रा भंडारण के लिए लगभग 58% USD का प्रयोग होता है l 27 देशों की संयुक्त मुद्रा होने के बावजूद EUR विदेशी व्यापार में लगभग 22% की हिस्सेदारी प्राप्त कर सका है l अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मुख्यतः USD, EUR, GBP, JPY, CAD, AUD, का प्रयोग होता है जिसमें सर्वाधिक भागीदारी USD की है l

वैश्वीकरण के दौर में व्यापारिक दृष्टिकोण से दुनिया बहुध्रुवीय हो गई है और USD पर निर्भरता कम करने का प्रयास कुछ देशों या देशों के समूह द्वारा किया जाता रहा है परंतु डॉलर के समानांतर अभी कोई वैकल्पिक मुद्रा तैयार नहीं हो पाई है l कहीं कहीं देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार स्थापित करके डॉलर पर निर्भरता कम करने का प्रयास हुआ है फिर भी अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है l

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अर्थव्यवस्था के आकार के मुताबिक अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है परंतु जब सकल घरेलू उत्पाद को क्रय शक्ति समता ( Purchasing Power Parity) के सापेक्ष देखते हैं तो चीन अमेरिका से आगे दिखाई पड़ता है l इस तरह चीन से यह स्वाभाविक अपेक्षा है कि विश्व आर्थिक मंच पर डॉलर का विकल्प प्रदान करे l

मुद्रा की मजबूती उसकी ग्राह्यता पर निर्भर होता है l मुद्रा की ग्राह्यता उस देश की आर्थिक मजबूती, देश की व्यापार और मौद्रिक नीति, पूंजी पर नियंत्रण और मुद्रा की परिवर्तनीयता पर निर्भर करता है l USD के लिए उपरोक्त सभी विंदु सकारात्मक हैं जिसके फलस्वरूप यह मजबूती से जमा हुआ है l

मुद्रा की स्वीकार्यता के लिए जरूरी है कि मुद्रा पूर्णतः परिवर्तनीय हो, स्थायी हो, देश में मुद्रास्फीति कम हो, देश के केन्द्रीय बैंक की साख मजबूत हो, देश के वित्त बाजार में गहराई और तरलता उपलबद्ध हो l चीन के मामले में कहा जा सकता है कि RMB आंशिक रूप से परिवर्तनीय है और पूंजी पर नियंत्रण है जिसके कारण इसकी ग्राह्यता सीमित है l चीन अपनी मुद्रा के वैश्वीकरण का प्रयास कर रहा है जिसके लिए Panda Bonds, बेल्ट एण्ड रोड प्रोजेक्ट और मुद्रा विनिमय समझौता ( Currency Swap Agreements) जैसे उपाय कर रहा है l इन तीनों में से हमलोग केवल पांडा बॉंडस के बारे में चर्चा करेंगे l

Panda Bonds के माध्यम से चीन अपनी मुद्रा RMB का वैश्वीकरण करना चाहता है l यह एक ऐसा वित्तीय साधन है जो न केवल चीन के आर्थिक विस्तार का माध्यम बना बल्कि वैश्विक निवेशकों के लिए एक नया अवसर प्रदान किया l पांडा बॉन्ड एक ऋणपत्र है जिन्हे विदेशी कम्पनियाँ, वित्तीय संस्थाएं या सरकारें चीनी मुद्रा में चीन के घरेलू बाजार में जारी करती है जिनमें चीनी निवेशक निवेश करते हैं l इन बॉन्ड के जरिये जुटाए गए धन का प्रयोग चीन में ही किया जा सकता है l

2010 से धन को अन्यत्र ले जाने की अनुमति मिल गई है l ये चीन के नियामक संस्थाओं द्वारा नियंत्रित होते हैं l अक्टूबर 2005 में अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम और एशियाई विकास बैंक ने पहली बार 100 करोड़ RMB का 10 साल का Panda Bonds जारी किया था l 2023 में Panda Bonds के माध्यम से 15,500 करोड़ RMB तथा 2024 में 19,500 करोड़ RMB जुटाए गए l सितंबर 2024 तक कुल 80,000 करोड़ RMB (11,000 करोड़ USD के समतुल्य ) के बॉन्ड जारी किये जा चुके हैं जिनमे से फरवरी 2025 को 4,500 करोड़ USD के बॉन्ड अभी भुगतान के लिए शेष हैं l

वर्तमान में Panda Bonds USD के लिए कोई खास चुनौती नहीं पेस कर रहा है परंतु RMB का वैश्वीकरण तेजी से हो रहा है l विदेशी सरकारें और संस्थान इस बॉन्ड के जरिए धन जूटा रहे हैं l पोलैंड, फिलीपींस, पाकिस्तान, साउथ कोरिया, पुर्तगाल, जर्मनी, ब्राजील, फ़्रांस UAE और हंगरी आदि ने पांडा बॉन्ड जारी करके चीन के साथ अपने वित्तीय संबंधों को गहराई दी है l

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वर्तमान में USD को कोई चुनौती नजर नहीं आ रही है क्योंकि USD बाजार (7.7 लाख करोड़ USD) का आकार RMB ( 4500 करोड़ RMB ) की तुलना में काफी बड़ा है, RMB पूर्णतः परिवर्तनीय नहीं है, पूंजी पर नियंत्रण और नियामक अपारदर्शिता से निवेशकों का विश्वास काम है l यदि Panda Bonds प्रगति करता रहा और चीन पूंजी नियंत्रण को कम करके वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करे तो शायद पांडा बॉन्ड तेजी से मजबूत बनकर USD के लिए चुनौती पेश कर सकता हैl

RMB के वैश्वीकरण के लिए एक प्रयास DIM Sum Bond भी है जो कि RMB में हाँग काँग से जारी किए जाते हैं जो कि चीन के पूंजी नियंत्रण कानून के दायरे से बाहर होते हैं जिसके फलस्वरूप निवेशकों को पसंद आते हैं l इस Panda Bonds की शुरुआत 2007 में हाँग काँग में की गयी थी जिसमे HSBC, मकड़ोनाल्ड, रिलायंस, IL&FS, Hyundai कैपिटल, DBS बैंक Bank of Tokyo Mitsubishi, Maybank, TotalSA जैसे बड़ी संस्थाओं ने Dim sum Bond के जरिए RMB फंड जुटाए l

2021 में भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी नैशनल इनवेस्टमेंट एण्ड इन्फ्रस्ट्रक्चर फंड (NIIF) ने Panda Bonds जारी करने की घोषणा की थी जो अभी तक जारी नहीं हुई है l न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) जिसे पहले ब्रीक्स बैंक के नाम से जाना जाता था, ने जनवरी 2025 में 5 वर्षीय 600 करोड़ RMB बॉन्ड जारी किया था और कुल मिलाकर अबतक 6150 करोड़ RMB का बॉन्ड जारी कर रखा है l

यह सच है कि पूरी दुनिया में अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को कम करने का प्रयास होता रहा है और अभी भी जारी है लेकिन डॉलर की श्रेष्टता को चुनौती देने के लिए किसी मुद्रा को व्यापक रूप से स्वीकार्य, लिक्विड और भरोसेमंद संपत्ति बनना होगा जो कि अभी मुश्किल दिख रहा है l भविष्य में जब भी डॉलर के विकल्प की तलाश होगी तो RMB की भूमिका महत्वपूर्ण होगी l विशेषज्ञों का मानना है कि RMB का अन्तर्राष्ट्रीयकरण एक धीमी लेकिन रणनीतिक प्रक्रिया है l Panda Bonds एक स्टेपिंग स्टोन है जो आनेवाले वर्षों में वैकल्पिक व्यवस्था तैयार कर सकता है जिसके लिए आवश्यक है कि चीन पूर्ण परिवर्तनीयता को अपनाकर, वित्तीय और राजनीतिक पारदर्शिता को सुनिश्चित करके वैश्विक निवेशकों का विश्वास अर्जित करे l

चीन के केन्द्रीय बैंक People’s Bank of China को नीति निर्धारण के लिए राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करना होगा तथा मार्केट सिस्टम को अधिक स्वतंत्र बनाना होगा l 2016 में RMB को IMF के Special Drawing Rights (SDR) बास्केट में शामिल किया गया था लेकिन SDR में RMB की हिस्सेदारी बहुत कम है l

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वर्तमान भूराजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य के मद्देनजर RMB को USD का पूर्ण विकल्प कहना जल्दबाजी होगी l जिस प्रकार से विश्व बहुध्रुवीय होता जा रहा है जहां आर्थिक, सामरिक, राजनीतिक समूह बन रहे हैं, अमेरिका में राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता बढ़ रही है उस हालत में USD की बादशाहत कमजोर होना स्वाभाविक है और दुनिया में USD का विकल्प जरूर तैयार होगा जहां पर RMB की भूमिका निर्णायक होगी l यदि चीन जरूरी सुधार करके वैश्विक विश्वास अर्जित करता है तो आनेवाले दशकों में RMB USD का विकल्प बन सकता है l

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