New Delhi : Indian Air Force के ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla ने एक्सिओम-4 (Axiom-4) मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में प्रवेश कर इतिहास रच दिया। वह भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री हैं जो ISS में पहुंचे हैं और 41 वर्षों बाद अंतरिक्ष में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले दूसरे भारतीय बने। उनके साथ मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन (अमेरिका), स्लावोस उज़नान्सकी-विस्निएव्स्की (पोलैंड) और टिबोर कपु (हंगरी) भी इस मिशन का हिस्सा हैं। चारों अंतरिक्ष यात्री गुरुवार को भारतीय समयानुसार शाम 4:05 बजे (लगभग 3:59 बजे IST) ड्रैगन अंतरिक्ष यान के सफलतापूर्वक ISS से जुड़ने के बाद स्टेशन में दाखिल हुए।

स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट द्वारा 25 जून 2025 को दोपहर 12:01 बजे (IST) फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुए ड्रैगन यान ने 28.5 घंटे की यात्रा के बाद ISS के हार्मनी मॉड्यूल से डॉकिंग पूरी की। शुभांशु, जो इस मिशन के पायलट हैं, ने डॉकिंग प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें अंतरिक्ष यान की गति, कक्षा, और स्टेशन के साथ तालमेल सुनिश्चित करना शामिल था।

अंतरिक्ष से अपने पहले संदेश में शुभांशु ने कहा कि नमस्ते मेरे प्यारे देशवासियों! यह मेरी नहीं, 140 करोड़ भारतीयों की यात्रा है। 41 साल बाद हम फिर से अंतरिक्ष में पहुंचे हैं। मेरे कंधे पर तिरंगा मुझे बता रहा है कि मैं अकेला नहीं हूं, आप सभी मेरे साथ हैं। यह भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है।उनके इस संदेश ने देश में गर्व और उत्साह की लहर दौड़ा दी।
शुभांशु के पिता शंभू दयाल शुक्ला ने लखनऊ में डॉकिंग का लाइव प्रसारण देखते हुए कहा कि हमें बहुत खुशी है। सफल डॉकिंग के लिए हम भगवान का धन्यवाद करते हैं। हमें अपने बच्चे पर गर्व है। उनकी बहन शुचि मिश्रा ने कहा कि यह न केवल मेरे लिए, बल्कि सभी भारतीयों के लिए गर्व का क्षण है। मैं प्रार्थना करती हूं कि वे सुरक्षित रहें। उनकी मां आशा शुक्ला लाइव प्रसारण देखकर भावुक हो गईं।

Ax-4 मिशन के तहत शुभांशु और उनकी टीम अगले 14 दिनों तक ISS पर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें भारत के सात प्रयोग शामिल हैं। इनमें माइक्रोग्रैविटी में मूंग और मेथी के अंकुरण, माइक्रोएल्गी और टार्डिग्रेड्स (सूक्ष्म जीव) की सहनशक्ति से संबंधित अध्ययन शामिल हैं। इसके अलावा, शुभांशु भारतीय छात्रों के साथ लाइव बातचीत करेंगे, ताकि युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति रुचि बढ़े। ISRO के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुदीश बलन ने कहा कि ये प्रयोग अंतरिक्ष के प्रभाव और जैविक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करेंगे।

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस उपलब्धि पर बधाई देते हुए कहा कि शुभांशु की 14 दिनों की अंतरिक्ष यात्रा भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत है। पूरा विश्व उत्साह और उम्मीद के साथ इसे देख रहा है। यह मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम (2026-27) के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिसमें शुभांशु एक प्रशिक्षित अंतरिक्ष यात्री के रूप में हिस्सा लेंगे। भारत ने इस मिशन के लिए Axiom Space को 50 करोड़ रुपये (लगभग 59 मिलियन डॉलर) का भुगतान किया है।
