Varanasi : काशी के मशहूर Night Market को हटाने की कार्रवाई अब राजनीतिक और सामाजिक विवाद का रूप लेती जा रही है। नगर निगम की ओर से की जा रही कार्रवाई का जहां विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं, वहीं पटरी दुकानदारों और होटल संचालकों में भी भारी नाराजगी है। Night Market को लेकर नगर आयुक्त अक्षत वर्मा ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई सुनियोजित और न्यायसंगत है, क्योंकि वहां अनैतिक गतिविधियां , अवैध होटल संचालन और यातायात अवरोध जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो रही थीं।
नगर आयुक्त का पक्ष – होटल में अनैतिक गतिविधियों की शिकायतें
नगर आयुक्त ने मीडिया से बातचीत में बताया कि Night Market का संचालन करने वाली कंपनी का टेंडर पहले ही निरस्त कर दिया गया था, साथ ही अनुबंध भी समाप्त कर दिया गया है। स्मार्ट सिटी की ओर से संबंधित कंपनी के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया है।
उन्होंने कहा कि यहां सिर्फ ठेले-पटरी नहीं, बल्कि होटल और बड़ी दुकानें भी चलाई जा रही थीं, जिनमें अवैध और अनैतिक गतिविधियों की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। पुलिस और नगर निगम की ओर से कई बार मौके पर निरीक्षण भी किया गया था।

दुकानदारों को पहले ही दी गई थी सूचना
नगर आयुक्त ने यह भी बताया कि Night Market में दुकानदारों को पहले ही सूचित किया गया था कि वे अपनी दुकानें हटा लें।करीब 70% दुकानदारों ने स्वेच्छा से दुकानें हटा लीं, लेकिन कुछ लोगों ने आदेश का पालन नहीं किया। ऐसे में मजबूरी में कार्रवाई करनी पड़ी।
उन्होंने आगे कहा कि रेलवे स्टेशन के सामने Night Market के कारण लगातार जाम और हादसे हो रहे थे। यात्रियों को परेशानी झेलनी पड़ रही थी। ऐसे में नाइट मार्केट को हटाना जरूरी हो गया था।
वैकल्पिक व्यवस्था की बात
नगर आयुक्त ने कहा कि नगर निगम की योजना है कि नाइट मार्केट के प्रभावित पटरी दुकानदारों को अन्य स्थानों पर स्थायी वेंडिंग जोन में स्थानांतरित किया जाए। अब तक 10 वेंडिंग जोन बन चुके हैं और जमीन तलाश कर और भी जोन विकसित किए जाएंगे।


व्यापारियों और विपक्ष का आक्रोश
कैंट होटल एसोसिएशन व्यापार मंडल अध्यक्ष नेत्रा जायसवाल ने कार्रवाई को गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि नगर निगम ने धोखे में रखकर 250 दुकानों और करीब 1.5 लाख गरीबों के पेट पर लात मारी है। मंत्रियों और विधायकों ने पत्र लिखकर हस्तक्षेप की कोशिश की, लेकिन नगर आयुक्त और महापौर ने किसी की नहीं सुनी।
उनका आरोप है कि यदि गंदगी और अनैतिक गतिविधियां हो रही थीं तो नगर निगम को सफाई और पुलिस को कानून व्यवस्था संभालनी चाहिए थी, न कि दुकानदारों को उजाड़ना।
