Sawan 2025 : काशी के इस शिवालय में तिल-तिल बढ़ता है शिवलिंग, दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना

Sawan 2025 : शिव की नगरी काशी को यूं ही नहीं कहा जाता कि यहां भगवान शिव हर कण में बसे हैं। यहां आपको एक से एक प्राचीन शिवालय मिलेंगे, जिनमें कई चमत्कारी भी हैं। आज सावन (Sawam 2025) के दूसरे सोमवार पर हम आपको एक ऐसे ही अनोखे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां स्थापित शिवलिंग हर दिन तिल के आकार जितना बढ़ता है। यह मंदिर भक्तों के बीच आस्था का केंद्र बना हुआ है।

Sawan 2025 : कहां स्थित है यह अद्भुत शिव मंदिर?

यह चमत्कारी मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर से करीब 500 मीटर की दूरी पर पांडेय हवेली इलाके में स्थित है, जो बंगाली टोला स्कूल के पास आता है। मंदिर का नाम है तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर, जिसका उल्लेख पुराणों के काशी खंड में भी मिलता है। मंदिर के गर्भगृह में विशाल शिवलिंग स्थापित है, जिसे लेकर कहा जाता है कि वह हर दिन थोड़ा-थोड़ा बढ़ता है।

Sawan 2025 : काशी के इस शिव मंदिर को कहा जाता है भोलेनाथ का ससुराल, सावन पर अपने साले संग निवास करते है महादेव

क्यों कहलाते हैं बाबा ‘तिलभांडेश्वर’?

मान्यता है कि इस मंदिर में विराजमान शिवलिंग प्रतिदिन तिल के बराबर बढ़ता है, इसी कारण इन्हें ‘तिलभांडेश्वर महादेव’ कहा जाता है। हालांकि आज तक यह पता नहीं चल पाया है कि शिवलिंग की गहराई कितनी है। यहां आने वाले भक्त विशेष रूप से काल सर्प दोष की शांति के लिए पूजा करते हैं। मंदिर परिसर में कुल 53 देवी-देवताओं की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं।

Sawan 2025 : सावन के चार सोमवार बाबा विश्वनाथ भक्तों को देंगे अलग-अलग स्वरूपों में दर्शन, जानें किस दिन होगा कौन सा श्रृंगार

Ad 1

क्या है मंदिर का पौराणिक इतिहास?

मंदिर के पुजारी विनय पांडेय के अनुसार, इस स्थान की पवित्रता इतनी है कि यहां एक बार दर्शन करने से गंगा सागर स्नान, प्रयाग के संगम स्नान और काशी के दशाश्वमेध घाट पर स्नान के बराबर पुण्य मिलता है।

पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि विभांडक ने इस स्थान को अपनी तपोभूमि बनाया था। उस समय यहां तिल की खेती हुआ करती थी। एक दिन तपस्या के दौरान उन्हें भगवान शिव ने दर्शन दिए। महर्षि ने बताया कि यहां शिव का एक दिव्यस्वरूप विद्यमान है, जो रोज़ाना बढ़ेगा।

जब आसपास के किसानों को इस बारे में बताया गया तो उन्होंने विश्वास नहीं किया और ज़मीन की खुदाई शुरू कर दी। खुदाई के दौरान जब उन्हें शिवलिंग के दर्शन हुए, तब से यह स्थान पूजा-अर्चना का केंद्र बन गया।

बाबा ने दिया था सपना

पुजारी के अनुसार, एक बार महर्षि विभांडक को स्वप्न में स्वयं भगवान शिव ने दर्शन दिए और कहा कि यह शिवलिंग कलयुग के अंत तक हर दिन तिल भर बढ़ता रहेगा। ऋषि ने यह बात गांववालों को बताई, जिसके बाद यह मंदिर श्रद्धा का प्रतीक बन गया।

मनोकामना होती है पूरी

मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से अपनी इच्छा बाबा तिलभांडेश्वर के सामने रखते हैं, महादेव उनकी प्रार्थना जरूर सुनते हैं और इच्छाएं पूरी करते हैं।

Ad 2

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *