Varanasi : शहर में लगातार हो रही प्रशासनिक कार्रवाइयों से आहत फेरी, ठेला और पटरी व्यवसायियों ने गुरुवार को राष्ट्रीय फेरी ठेला व्यवसायी संगठन के नेतृत्व में जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार को ज्ञापन सौंपा। संगठन ने प्रशासन से अपील की है कि गरीब और रोज कमाकर खाने वाले इन व्यवसायियों की आजीविका पर मंडरा रहे खतरे को खत्म करने के लिए संवेदनशील रवैया अपनाया जाए और अनावश्यक पुलिस कार्रवाई पर तुरंत रोक लगाई जाए।
वैध व्यवसाय पर भी कार्रवाई, जताया विरोध
ज्ञापन में संगठन ने कहा है कि अधिकतर फेरीवाले और ठेला व्यवसायी पथ विक्रेता अधिनियम 2014 के तहत वैध रूप से काम कर रहे हैं। इसके बावजूद उन्हें लगातार पुलिसिया दबाव और जबरन हटाए जाने का सामना करना पड़ रहा है। कई मामलों में BNS की धारा 170 के तहत केस दर्ज कर उन्हें हिरासत में भी लिया गया है, जो पूरी तरह से अन्यायपूर्ण है।
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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की हो रही अनदेखी
संगठन ने यह भी याद दिलाया कि सुप्रीम कोर्ट की धारा 3(3) के मुताबिक जब तक फेरीवालों को कोई वैकल्पिक स्थान नहीं दिया जाता, तब तक उन्हें उनके ठिकानों से हटाया नहीं जा सकता। इसके बावजूद नगर निगम और स्थानीय प्रशासन इस दिशा में कोर्ट के आदेशों की अनदेखी कर रहा है।
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कई बार लगाई गुहार, नहीं मिली राहत
फेरी-पटरी व्यवसायियों ने बताया कि वे पहले भी कई बार नगर आयुक्त से अपनी समस्याओं को साझा कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस हल नहीं निकला। इसीलिए अब उन्होंने डीएम से सीधा हस्तक्षेप करने की मांग की है। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ, तो वे अनिश्चितकालीन सत्याग्रह शुरू करने को मजबूर होंगे।
“भूख के कगार पर हैं गरीब दुकानदार”
संगठन से जुड़े सदस्यों ने कहा कि ये फेरीवाले न केवल अपने परिवारों का पालन-पोषण करते हैं, बल्कि समाज के आम लोगों को सस्ते सामान उपलब्ध कराते हैं। इसके अलावा यह तबका बेरोजगारी दर को नियंत्रित रखने में भी अहम भूमिका निभाता है।
प्रशासन से न्याय की अपील
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि यह केवल रोजगार की बात नहीं, बल्कि देश के संवैधानिक अधिकारों और मानवीय मूल्यों से जुड़ा मुद्दा है। अब देखना है कि प्रशासन इस संवेदनशील विषय को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या गरीब फेरीवालों को न्याय और राहत मिल पाएगी या फिर उन्हें संघर्ष की राह अपनानी पड़ेगी।