Varanasi : महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के हिंदी और अन्य भारतीय भाषा विभाग में गुरुवार को एक विचार गोष्ठी (MGKVP Seminar) का आयोजन किया गया, जिसमें भाषा, साहित्य और समाज के परस्पर संबंधों तथा उनके समकालीन परिप्रेक्ष्य पर गंभीर मंथन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ विभागाध्यक्ष प्रो. राजमुनि के स्वागत भाषण से हुआ, जिसमें उन्होंने Seminar के विषय की प्रासंगिकता को रेखांकित करते हुए भारतीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं बल्कि हमारी संस्कृति, विचार और पहचान की संवाहिका भी है।

Seminar में भाग ले रहे प्रमुख विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए और भाषा की विकास यात्रा, उसकी चुनौतियाँ तथा हिंदी भाषा की वैश्विक संभावनाओं पर व्यापक विचार-विमर्श किया। साथ ही, उन्होंने क्षेत्रीय भाषाओं और बोलियों की सांस्कृतिक विरासत और राष्ट्रीय एकता में उनके योगदान को भी उजागर किया।
प्रो. अनुराग कुमार और प्रो. निरंजन सहाय ने Seminar को भारतीय भाषाओं के प्रति जागरूकता और साहित्यिक विमर्श को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक सार्थक पहल बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों, शोधार्थियों और शिक्षकों को भाषा के विविध आयामों को समझने और विचारों के आदान-प्रदान का मंच प्रदान करते हैं।

Seminar में छात्र-छात्राओं और शोधार्थियों ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। यह आयोजन भारतीय भाषाओं के विकास और साहित्य के सामाजिक सरोकारों को केंद्र में रखकर शिक्षा जगत में नवचिंतन को प्रेरित करने वाला रहा।
