Varanasi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जलालीपुरा वार्ड के अमरपुर बटलोहिया इलाके में डेढ़ महीने से Sewer Overflow की समस्या ने स्थानीय लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। बरसात के पानी और जाम सीवर की वजह से सड़कों से लेकर घरों तक गंदा पानी भर गया है। इस हालत में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं, लोगों की रोजी-रोटी ठप हो चुकी है और नाराज लोग पार्षद व प्रशासन पर उदासीनता का आरोप लगा रहे हैं।

स्थानीय निवासी शबनम, रानी और राबिया जैसी महिलाओं ने बताया कि बच्चे उल्टी-दस्त और अन्य संक्रमणों से पीड़ित हैं। घरों में Sewer का पानी घुसा हुआ है, जिससे शौचालयों का उपयोग भी संभव नहीं हो पा रहा। लोगों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में उपचार संतोषजनक नहीं और निजी इलाज कराना आर्थिक रूप से संभव नहीं।
गांव वालों का आरोप है कि वार्ड 63 के पार्षद से कई बार शिकायत की गई, लेकिन वे या तो टालमटोल करते हैं या व्यंग्य में कहते हैं कि ‘क्या संगमरमर लगवा दें?’ एक निवासी अब्दुल हमीद ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का क्षेत्र होने के बावजूद हालात नारकीय हैं। रिक्शा-बाइक पलट जा रहे हैं, बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे।

घरों में Sewer का पानी घुसने से लूम और मशीनें बंद हो गई हैं, जिससे बुनकरों की रोजी-रोटी पर असर पड़ा है। राबिया ने बताया कि उनका लूम पानी में डूब गया है। वहीं, दुकानदारों का कहना है कि गंदगी और जलभराव के कारण ग्राहक नहीं रुकते, कामकाज पूरी तरह ठप है।
स्थानीय युवक आकाश सोनकर ने बताया कि समस्या को लेकर CM पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराई गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। पार्षद की ओर से सिर्फ फोटो खींचकर टीम भेजी गई, उसके बाद कोई सुध नहीं ली गई।

गौरतलब है कि हाल ही में वाराणसी स्वच्छता सर्वेक्षण में 17वें स्थान पर आया है। अब शहर को इंदौर की तर्ज पर सुधारने की बात की जा रही है, लेकिन अमरपुर जैसे इलाकों की हालत यह रैंकिंग खोखली साबित कर रही है।

इलाके के लोग मांग कर रहे हैं कि:
- Sewer की तत्काल सफाई कराई जाए
- संक्रमण रोकने के लिए दवाओं का छिड़काव और मेडिकल कैम्प लगाया जाए
- नुकसान की भरपाई और लूम चलाने वालों को राहत दी जाए
- जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय हो

अमरपुर की बदहाल स्थिति ना केवल स्वास्थ्य संकट खड़ा कर रही है बल्कि यह प्रशासनिक उदासीनता और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही का भी आईना है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह समस्या महामारी में बदल सकती है।