Varanasi : गंगा नदी एक बार फिर उफान पर है और शहर में बाढ़ की आशंका तेजी से गहराती जा रही है। शुक्रवार दोपहर दो बजे Ganga का जलस्तर 70.20 मीटर दर्ज किया गया, जो चेतावनी बिंदु (70.262 मीटर) से मात्र 6 सेंटीमीटर नीचे है। जलस्तर प्रति घंटे चार सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है, जिससे अगले 24 घंटों में खतरे के निशान (71.262 मीटर) को पार करने की आशंका जताई जा रही है।

Ganga के बढ़ते जलस्तर के कारण काशी के लगभग सभी घाट जलमग्न हो चुके हैं। राजघाट, अस्सी, दशाश्वमेध जैसे प्रमुख घाटों पर जल भराव हो गया है। साथ ही तटवर्ती बस्तियों और निचले इलाकों में पानी फैलने लगा है, जिससे बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।
Ganga में जलस्तर की वृद्धि का असर वरूणा नदी पर भी देखने को मिल रहा है, जहां पलट प्रवाह शुरू हो गया है। इससे वरूणा का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है और उसका पानी भी आबादी वाले क्षेत्रों की ओर बढ़ने लगा है।

बढ़ते खतरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। गंगा और वरूणा के किनारे बसे इलाकों के निवासियों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। प्रशासन की ओर से राहत शिविर स्थापित किए जा रहे हैं और निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। नावें, मेडिकल टीम, आपात संपर्क केंद्र और राशन व्यवस्था जैसे जरूरी संसाधनों को सक्रिय किया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जलस्तर इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो यह जल्द ही खतरे का निशान पार कर सकता है। वर्ष 1978 में Ganga का उच्चतम जलस्तर 73.901 मीटर दर्ज किया गया था। मौजूदा हालात उस रिकॉर्ड के करीब पहुंचने की चेतावनी दे रहे हैं।

प्रशासन की अपील:

- नदी किनारे जाने से बचें
- जलभराव वाले इलाकों से समय रहते सुरक्षित स्थानों पर जाएं
- प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें

गंगा और वरूणा नदियों का उफान वाराणसी के लिए गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। प्रशासन मुस्तैद है लेकिन जलस्तर की बढ़ती गति चिंता बढ़ा रही है। जनता से सहयोग और सतर्कता ही इस आपदा से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार साबित हो सकता है।
