Cyber Crime: योगी सरकार के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए लगातार हाईटेक टेक्नोलॉजी का सहारा ले रही है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेज (यूपीएसआईएफएस) द्वारा तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।
मंगलवार को सेमिनार के दूसरे दिन Cyber विशेषज्ञों ने डार्क वेब की अवैध गतिविधियों और क्रिप्टोकरेंसी के अनियंत्रित उपयोग पर गहन चर्चा की। विशेषज्ञों ने साइबर अपराधों को रोकने के लिए हाईटेक टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के महत्व पर जोर दिया।
डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी के दुरुपयोग पर चर्चा
Cyber सेमिनार का संचालन कर्नल नीतीश भटनागर ने किया। विशेषज्ञों ने बताया कि डार्क वेब पर हैक किए गए डेटा की बिक्री, मानव तस्करी और ड्रग ट्रैफिकिंग जैसी अवैध गतिविधियाँ हो रही हैं। पैनेलिस्ट आमिर ने डार्क वेब की गुमनाम और विकेंद्रित प्रकृति के कारण अपराधियों का पता लगाने में आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत का नया डिजिटल डाटा संरक्षण कानून इन अपराधों पर लगाम लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। वहीं, विष्णु नारायण शर्मा ने हाईटेक टेक्नोलॉजी के उपयोग से डार्क वेब पर होने वाले अपराधों को ट्रैक करने की संभावनाओं पर जोर दिया।
Cyber सेल के डीआईजी पवन कुमार ने कहा कि 90 प्रतिशत साइबर अपराध अब क्रिप्टो प्लेटफॉर्मों पर हो रहे हैं। योगी सरकार इनसे निपटने के लिए प्रभावी कदम उठा रही है। विशेषज्ञों ने बताया कि एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी तकनीकें भविष्य में साइबर अपराधों को रोकने में अहम भूमिका निभाएंगी। साथ ही, वैश्विक स्तर पर साइबर अपराधों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया गया।

डार्क वेब की अवैध गतिविधियाँ
डार्क वेब, जो सर्च इंजनों से छिपा होता है और केवल टॉर जैसे विशेष टूल्स से एक्सेस किया जा सकता है, कई अवैध गतिविधियों का केंद्र है। इनमें नशीली दवाओं का व्यापार, मानव तस्करी, डेटा चोरी, और हत्या की साजिशें शामिल हैं।
क्रिप्टोकरेंसी से बढ़ते खतरे
क्रिप्टोकरेंसी, जैसे बिटकॉइन और एथेरियम ने वित्तीय बाजार में क्रांति ला दी है, लेकिन इनका दुरुपयोग धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी फंडिंग के लिए भी हो रहा है। गुमनाम ट्रांजेक्शन और हैकिंग हमले इसके प्रमुख जोखिम हैं।
इन खतरों से निपटने के उपाय
- डेटा एनक्रिप्शन और सुरक्षित संचार: डार्क वेब की गतिविधियों से बचने के लिए मजबूत एनक्रिप्शन जरूरी है।
- मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन: क्रिप्टो वॉलेट्स और एक्सचेंजों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए इसका उपयोग अनिवार्य हो।
- कानूनी निगरानी: डार्क वेब पर सख्त निगरानी और कानून प्रवर्तन की कार्रवाई जरूरी है।
- क्रिप्टो ट्रैकिंग टूल्स: ट्रांजेक्शन की निगरानी के लिए विशेष सॉफ्टवेयर का उपयोग हो।
- जागरूकता अभियान: जनता को क्रिप्टोकरेंसी और डार्क वेब के खतरों के प्रति जागरूक करना जरूरी है।
- सुरक्षा प्रशिक्षण: उपयोगकर्ताओं और व्यवसायों को ऑनलाइन Cyber सुरक्षा के लिए शिक्षित करना महत्वपूर्ण है।
