Varanasi: शेयर बाजार में निवेश के नाम पर लोगों से लाखों रुपये की ठगी करने वाले दो फर्जी कॉल सेंटरों का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में कॉल सेंटरों के संचालकों समेत 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस कार्रवाई में Varanasi पुलिस ने 57 मोबाइल फोन, बैंक चेकबुक, आधार कार्ड और सिम कार्ड बरामद किए हैं। हैरानी की बात यह है कि आरोपियों के पास से एक मोबाइल नंबर नेपाल का भी मिला है, जिससे अंतरराष्ट्रीय ठगी के नेटवर्क की आशंका जताई जा रही है।
डीसीपी क्राइम Varanasi सरवणन टी ने बताया कि बीते कुछ महीनों से निवेश के नाम पर ठगी की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। इस पर सिगरा, लक्सा थाने और जनपदीय साइबर सेल की चार टीमों का गठन किया गया। जांच में सामने आया कि भेलूपुर, मिर्जापुर और अमरोहा के युवकों द्वारा दो फर्जी कॉल सेंटर चलाए जा रहे थे। इसके बाद पुलिस की टीमों ने छापेमारी करते हुए भेलूपुर निवासी कृतिन यादव, मिर्जापुर निवासी धीरज बेन और अमरोहा निवासी शिवम यादव सहित 29 लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

सोशल मीडिया पर देते थे निवेश के लालच वाले विज्ञापन
ठग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आकर्षक विज्ञापन चलाकर लोगों को शेयर बाजार में निवेश के लिए प्रेरित करते थे। टेली कॉलिंग के जरिए लोगों से संपर्क कर उनकी बैंक डिटेल्स लेते थे और उन्हें फर्जी मोबाइल ऐप डाउनलोड कराकर निवेश के लिए पैसे जमा कराते थे। शुरुआत में मुनाफे का झांसा देकर भरोसा जीतते थे, लेकिन बाद में लाभ का 40 प्रतिशत खुद रखकर शेष रकम अपने फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेते थे।
27 मामलों में संलिप्तता की पुष्टि
डीसीपी Varanasi सरवणन टी ने बताया कि अब तक कुल 27 मामलों में इन कॉल सेंटरों की संलिप्तता की पुष्टि हो चुकी है। बरामद मोबाइल फोनों की कीमत लगभग 20 लाख रुपये है। इसके साथ ही कई बैंकों की चेकबुक, आधार कार्ड और सिम कार्ड भी मिले हैं। कॉल सेंटर में काम करने वाले युवाओं को नकली नाम दिए गए थे, जिनके जरिये वे पीड़ितों से बात कर उन्हें फंसाते थे।


साइबर एसीपी विदूष सक्सेना की सराहनीय भूमिका
इस बड़ी कार्रवाई में Varanasi साइबर सेल के एसीपी विदूष सक्सेना की अहम भूमिका रही। उन्होंने टीम के साथ मिलकर आरोपियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी और उन्हें रंगे हाथों पकड़वाया। एसीपी सक्सेना ने लोगों से अपील की है कि किसी भी निवेश योजना में पैसा लगाने से पहले उसकी प्रमाणिकता और लाइसेंस की जांच अवश्य करें। पुलिस ऐसे मामलों पर कड़ी निगरानी रख रही है और भविष्य में भी इस तरह की कार्रवाइयां जारी रहेंगी।